ये ‘हाई प्रोफाइल’ शिक्षा – क्या इसके कोई सामाजिक सरोकार भी हैं?

Sanjay Jothe1

  संजय जोठे (Sanjay Jothe) भारत में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट मेडिसिन या तकनीक की अकेली पढाई पूरी कौम और संस्कृति के लिए कितनी घातक हो सकती है ये साफ नजर आ रहा है। इस श्रेणी के भारतीय युवाओं में समाज, सँस्कृति, साहित्य, इतिहास, धर्म की अकादमिक समझ लगभग शून्य बना दी गयी है। ये तकनीक के “बाबू” देश के लिए बड़ा […]

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और पसमांदा प्रश्न

Faiyaz Ahmad Fyzie

  फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी  मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने स्थापना  से लेके आजतक ये दावा करता आया है कि वह इस देश में बसने वाले सबसे बड़े अल्पसंख्यक समाज की एक अकेली प्रतिनिधि संस्था है, जो उनके व्यक्तिगत एवम् सामाजिक मूल्यों को, जो इस्लामी शरीयत कानून द्वारा निर्धारित किये गए हैं, देखने भालने का कार्य सम्पादित करती है। इसके अतिरिक्त […]

मुस्लिम राजनीति के मुद्दे बनाम पसमांदा मुद्दों की राजनीति

Lenin Maududi

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) मियां-बीवी औसत 3 बच्चे, दो कमरे का घर. उसमे से एक कमरे में पॉवर लूम लगा हुआ रहता है. जो तब तक चलता है जब तक लाइट रहती है. इस पॉवर लूम को घर के सभी सदस्य मिल के चलाते हैं. उत्तर प्रदेश में लाइट का हाल आप को पता ही है पूरे दिन में मुश्किल से […]

हाँ, मुसलमानो का तुष्टिकरण हुआ है, लेकिन अशराफ़ मुसलमानों का

khalid anis ansari

प्रोफेसर खालिद अनीस अंसारी (Professor Khalid Anis Ansari) यह 11 जून 2017 को पटना (बिहार) में बागडोर और अन्य संगठनों द्वारा आयोजित एक-दिवसीय कांफ्रेंस ‘बहुजन चौपाल: भारत का भगवाकरण और सामाजिक न्याय की चुनौतियाँ’ में प्रो. खालिद अनीस अंसारी के वक्तव्य की संशोधित प्रतिलिपि है.     मैं अपनी बात शुरू करने से पहले जो आयोजक संगठन हैं बहुजन चौपाल के […]

जातिवाद सवर्णों की जागीर है, बहुजनों की नही

Vikas Verma

दलित राष्ट्रपति उम्मीदवार, मेरिट और सवर्ण राजनीति विकास वर्मा (Vikas Verma) प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल के बाद नए राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए पहला नाम सत्तारूढ़ भाजपा की तरफ से ‘रामनाथ कोविन्द’ आया। ये नाम ज्यादातर लोगों ने पहली बार सुना था। हो भी क्यों न, राज्यों के राज्यपालों के नाम लुसेंट की ‘सामान्य ज्ञान’ की किताब तक ही […]

ख़ास तौर से पसमांदा मुसलमान मारे जा रहे हैं – अली अनवर अंसारी

Lenin Maududi Ali Anwar

30 जुलाई 2017 को दिल्ली में भीड़ हिंसा (mob lynching) के खिलाफ़ एक विशाल बाइक रैली में अली अनवर साहेब, MP JDU (राज्य सभा) से DEMOcracy के पत्रकार लेनिन मौदूदी की बातचीत लेनिन मौदूदी: सलाम, नमस्ते, आदाब!! आप जुड़े हुए हैं डेमोक्रेसी से और हमारे साथ इस समय अली अनवर साहब हैं. वो भीड़ हिंसा के खिलाफ इस रैली का हिस्सा […]

दास्तान-ए-भेद भाव

प्रो० अहमद सज्जाद बात आज़ादी से पहले की है। जब मुस्लिम कांफ्रेंस द्वारा आयोजित (15-16 नवंबर 1930 ई०) अधिवेशन में उसने उस वक़्त की सभी बड़े छोटे मुस्लिम संगठनो को आमन्त्रित किया गया था। मुस्लिम कांफ्रेंस और उसके अध्यक्ष बैरिस्टर नवाब मुहम्मद इस्माईल खाँन का ये उद्देश्य था कि सारे मुस्लिम संगठनो को एक मंच पे लाया जाया। इस अवसर […]

आरक्षण दिवस की लड़ाई सतत जारी रहेगी – 26 जुलाई पर विशेष

Suraj Kumar Bauddh

सूरज कुमार बौद्ध  (Suraj Kumar Bauddh)   आरक्षण दिवस: एक झलक आज 26 जुलाई है। 26 जुलाई यानी कि आरक्षण दिवस। आज से 115 साल पहले 26 जुलाई 1902 में कोल्हापुर नरेश छत्रपति साहू जी महाराज द्वारा पहली बार आधिकारिक शासनादेश के रूप में शुद्रो तथाअति शूद्रों सहित सभी गैर ब्राह्मणों के लिए 50 फ़ीसदी आरक्षण का ऐलान किया गया था। […]

…ताकि चुनाव प्रिक्रिया खेल बन के न रह जाये

Suraj Kumar Bauddh

  सूरज कुमार बौद्ध (Suraj Kumar Bauddh) राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। श्री रामनाथ कोविंद जी भारत के अगले राष्ट्रपति भी बन चुके हैं। मैं कुछ आगे लिखूं इससे पहले श्री रामनाथ कोविंद को भारत के राष्ट्रपति चुने जाने पर मेरा हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं। – राष्ट्रपति चुनाव एवं बैलेट पेपर का इस्तेमाल राष्ट्रपति चुनाव में जनप्रतिनिधियों द्वारा […]

साम्प्रदायिकता और पसमांदा सवाल

Lenin Maududi

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) हम सबको ये समझने का वक्त आ गया है कि हर समाज के केंद्र में इसकी राजनीति होती है. अगर राजनीति घटिया दर्जे की होगी तो सामाजिक हालात के बढ़िया होने की उम्मीद करना बेमानी है. भारत में सेक्युलर योद्धा दावा कर रहे हो हैं कि वे फासीवाद से लड़ रहे हैं इसलिए ये हर उस […]