लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) मेरा भाई अल्तमश मुझे आज कल बहुत से नए शायरों से रूबरू करा रहा है. ये शायर इतने प्रगतिशील और क्रांतिकारी हैं कि ये “खुदा की ज़ात” पे भी शेर लिखने से नहीं डरते. पर इनमें से किसी का भी शेर “जाति व्यवस्था’ के खिलाफ़ नहीं पढ़ा है मैंने. ऐसा कैसे मुमकिन है कि वे दुनियां […]
‘मुल्क’ फिल्म, अशराफ/सवर्ण राजनीति और पसमांदा दृष्टिकोण
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) आतंक से आतंकवाद का सफर लम्बा है. आदिकाल से मनुष्य आतंकित होता आ रहा है और आतंकित करता आ रहा है. मनुष्यों ने अपनी सत्ता को लेकर जो भी संस्था बनाई उसमे अक्सर आतंक को एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया. धर्म में ईश्वर का आतंक, परिवार में पितृसत्ता का आतंक, राज्य में सर्वभौमिक्ता का आतंक […]
इस्लामिक जाति व्यवस्था बनाम इबलीसवाद【1】
एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) जब कभी मुसलमानों में विद्यमान जाति व्यवस्था अथवा मुस्लिम समाज में स्थापित जाति आधारित ऊँच-नीच की मान्यता का मुद्दा किसी व्यक्ति अथवा संगठन विशेषकर पसमांदा आन्दोलन से संबंधित संगठनों द्वारा अपने हक-अधिकार व मान-सम्मान【2】 हेतु उठाया जाता है तो फौरन एक स्वर में तथाकथित (धार्मिक, सियासी, सामाजिक वगैरह) मुस्लिम रहनुमाओं द्वारा […]
मुस्लिम आरक्षण बनाम पसमांदा आरक्षण
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) जब मुसलमानों में जाति का सवाल उठता है तो कई मुस्लिम विद्वान छटपटाहट के साथ कहते हैं – कुरान में जात-पात कहाँ? पर यहाँ सवाल कुरान का नहीं उसकी व्याख्या का है. किसी भी किताब की व्याख्या कोई लेखक करता है और लेखक हमारे इसी समाज के होते हैं. लेखक की समाजी हैसियत का असर उसकी […]
दलित और राष्ट्रवाद/राष्ट्रीयता का सवाल (पाकिस्तान की मिटटी से)
लेखक: गणपत राय भील (Ganpat Rai Bheel) अनुवादक: फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) यह एक ऐसा सवाल है जो हर उस अन्तःमन में पलता है जो इस व्यवस्था और इसके सत्ताधारी साथियों के अत्याचार का शिकार है। हम इस विषय पर दलितों का नज़रिया रखने की कोशिश करेंगे। दलित पाकिस्तान में आबाद एक महत्वपूर्ण सामाजिक समूह है। दलित […]