लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) अमर्त्य सेन ने अपनी किताब ‘द आईडिया ऑफ़ जस्टिस’ में तीन बच्चों- ऐनी, बॉब और कार्ला के बीच एक बांसुरी के स्वामित्व को लेकर हुए विवाद का उदाहरण देते हैं. ऐनी यह कहकर बांसुरी पर अपना हक जताती है कि उसे ही बांसुरी बजानी आती है. वहीं बॉब का तर्क यह है कि वह बेहद गरीब […]
दलित और राष्ट्रवाद/राष्ट्रीयता का सवाल (पाकिस्तान की मिटटी से)
लेखक: गणपत राय भील (Ganpat Rai Bheel) अनुवादक: फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) यह एक ऐसा सवाल है जो हर उस अन्तःमन में पलता है जो इस व्यवस्था और इसके सत्ताधारी साथियों के अत्याचार का शिकार है। हम इस विषय पर दलितों का नज़रिया रखने की कोशिश करेंगे। दलित पाकिस्तान में आबाद एक महत्वपूर्ण सामाजिक समूह है। दलित […]
बाबासाहेब डॉ आंबेडकर और आदिवासी प्रश्न
डॉ रत्नेश कातुलकर (Dr. Ratnesh Katulkar) क्या डॉ आंबेडकर आदिवासी विरोधी थे? क्या उन्होने दलित अधिकारो की कीमत पर आदिवासी अधिकारों की अवहेलना की? ये सवाल अभी हाल ही कुछ वर्षों मे कुछ लेखकों ने उठाए हैं। हालांकि बाबसाहब पर इस तरह के इल्ज़ाम कोई नए नहीं हैं। वैसे यह सच है कि बाबा साहेब डॉ आंबेडकर तो हमेशा […]
अंबेडकरवाद के ध्वजवाहक: डॉ भदंत आनंद कौसल्यायन
(5 January 1905 – 22 June 1988) डॉ रत्नेश कातुलकर (Dr. Ratnesh Katulkar) डॉ भदंत आनंद कौसल्यायन हिंदी और पाली भाषा के मूर्धन्य विद्वान और डॉ आंबेडकर मिशन के एक ऐसे ध्वजवाहक थे जिन्होंने अपनी किताबों, अनुवादों और प्रचार के द्वारा बाबासाहेब के मिशन को आमजन के बीच स्थापित किया. भारत में आम्बेडकरवाद को स्थापित करने में इनकी अहम भूमिका […]
द ट्रांस पर्सन्स बिल ‘2016′ के विरोध में उठती आवाज़
प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी लिखने की अपरिहार्यता का परिप्रेक्ष्य सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘द ट्रांस पर्सन्स (सुरक्षा एव अधिकार) बिल ‘2016‘ के विरोध में उठती आवाज़ कुणाल रामटेके (Kunal Ramteke) समकालीन भारतीय परीपेक्ष्य मे सामाजिक मानसपटल पर गहराते धर्म, वर्ण, जाति, वर्ग, लिंगभेद के संकट के बीच राज्यद्वारा प्रेरित तथा प्रस्थापित हिंसा ने व्यवस्था को पुनः कटघरे मे लाकर खड़ा कर […]
भारत का भविष्य और आंबेडकर
संजय जोठे (Sanjay Jothe) हमारे समय में और खासकर आजादी के इतने सालों बाद जबकि राजनीतिक परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में बहुत सारा श्रम और समय लगाया जा चुका है, ऐसे समय में आंबेडकर को लेकर बात करना बहुत जरुरी और प्रासंगिक होता जा रहा है. गांधीवाद का सम्मोहन या तो टूट चुका है या वह अपना […]
यहां गाय और सांप मारना मना है! आदमी मारिए!
डॉ ओम सुधा पिछले दिनों हम सबने खबर सुनी कि एक दलित केवल इसलिए पीट-पीट कर मार दिया गया क्योंकि उसने अपने घर में निकले एक विषैले सांप को मार दिया था. पीटकर हत्या करने वालों का तर्क है कि सांप उनके लिए पूज्यनीय है. पिछले दिनों गाय और गोमांस के मुद्दे पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर देने […]