कांशी राम (Kanshi Ram) [नोट: कांशी राम साहेब ने प्रस्तुत सम्पादकीय लेख, दि ओप्रेस्ड इण्डियन (जुलाई, 1979) के लिए लिखा था. राउंड टेबल इंडिया धन्यवाद् करता है अनुवादक विजेंद्र सिंह विक्रम जी का जिन्होंने प्रस्तुत लेख को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया; और ए.आर.अकेला जी का जिन्होंने साहेब कांशी राम जी के सम्पादकीय लेखों को किताब की शक्ल दी.] दंगे – एक […]
मेरी कविता कड़वी कविता
शैलेन्द्र रंगा (Shailender Ranga) मेरी कविता कड़वी कविता वो बात करे अधिकार की तेरी कविता मीठी कविता उसे आदत है सत्कार की दर्द क्यों न हो सदियों की है पीड़ा ये हर वक़्त दिखाई देता बस मनोरंजन और बस क्रीड़ा तुम क्यूँकर कहते धिक्कार की?
भीड़तंत्र, सांप्रदायिकता के खिलाफ मऊ में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) भीड़तंत्र और सांप्रदायिकता के खिलाफ मऊ नागरिक मंच और टीम डेमोक्रेसी(DEMOcracy) की ओर से एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। यह विरोध प्रदर्शन हर तरह की भीड़ के खिलाफ था जो खुद को कानून-व्यवस्था से ऊपर समझती है । इस विरोध प्रदर्शन में इस बात को रेखांकित किया गया है कि भीड़तंत्र लोकतंत्र के लिये […]
दलितों पिछड़ों को अपना दीपक स्वयंम बनना है
संजय जोठे धर्म, इश्वर और आलौकिक की गुलामी एक लाइलाज बिमारी है. भारत में इसे ठीक से देखा जा सकता है. कर्मकांडी, पाखंडी और अपनी सत्ता को बनाये रखने वाले लोग ऐसी गुलामी करते हैं ये, बात हम सभी जानते हैं. लेकिन एक और मज़ेदार चीज़ है तथाकथित मुक्तिकामी और क्रांतिकारी भी यही काम करते हैं. इस विषचक्र से […]
प्रिय लोकतंत्र बता अपनी भूख को हम कैसे मिटायें ?
जनकवि सचिन माली प्रिय लोकतंत्र बता अपनी भूख को हम कैसे मिटायें ? भूख से बिलबिलाते एड़ियां घिसकर मरते लोगों का आक्रोश खाएँ ? या उनकी अंतिम विधि के लिए सूद से लिया कर्ज़ खाएँ ? आत्महत्या करने वाले किसानों की पेड़ों से टंगी लाशों का फ़ांस खाएँ ? या आत्महत्या करने के बाद मिलने वाला सरकारी पैकेज खाएँ ? […]
प्रथम पसमांदा आंदोलन के जनक एवं स्वतंत्रा सेनानी, मौलाना अली हुसैन ‘असीम बिहारी’
फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) जन्म: 15 अप्रैल 1890 मृत्यु: 6 दिसम्बर 1953 मौलाना अली हुसैन “असीम बिहारी” का जन्म 15 अप्रैल 1890 को मोहल्ला खास गंज, बिहार शरीफ, जिला नालंदा, बिहार में एक दीनदार (धार्मिक) गरीब पसमांदा बुनकर परिवार में हुआ था। 1906, में 16 वर्ष की अल्प आयु में उषा कंपनी कोलकाता में नौकरी करना […]
मलिक ताहिर बाबा, मज़ार और बहुजनी नुक्ता
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) मेरे शहर के बारे में एक दंत कथा मशहूर है कि यहाँ पहले नट नाम के राक्षस का राज्य था। लोग उसके आतंक से बहुत परेशान थे। तत्कालीन हुक्मरा सैय्यद शालार मसूद गाजी ने बाबा मलिक ताहिर को यहाँ इस इलाके पर कब्जा करने के लिये भेजा था। बाबा ने नट को मार कर एक बोतल […]
गाय, ‘पिछड़ापन’ और ‘बहुजन’ महिलाएं
आशा सिंह (Asha Singh) बिहार के भोजपुर जिले में पड़ने वाले मेरे अहीर जाति–बहुल गाँव में सातवीं तक स्कूल है. इसके बाद जो पढ़ना-लिखना चाहते हैं उनका नाम दूसरे गाँवों या आरा टाउन के स्कूल में लिखवा दिया जाता है. लड़के तो स्कूल जाते हैं लेकिन लड़कियां साल में केवल दो बार, एक बार नाम लिखवाने के लिए और दूसरी बार परीक्षा देने […]
हम लोगों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है और पाने के लिए पूरी दुनिया है।
दीपाली तायडे वैसे तो लड़कियों के इनबॉक्स में रोज़ तमाम तरह के मैसेज आतें हैं, पर बीते दिनों कुछ लड़कियों के जो मैसेज आए उन्होनें मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया। पहाड़ों पर घुमक्कड़ी की कई फ़ोटो के अपलोड के दौरान बहुत से कॉमेंट और मैसेज मिले, लेकिन मेरी लड़की दोस्तों ने जो लिखा वो लगभग कई बहुजन लड़कियों […]
जाति विनाश कैसे हो?
संजय जोठे जाति विनाश अगर सवर्णों से अपेक्षित है तो ये व्यर्थ का प्रोजेक्ट है. लेकिन जाति विनाश दलितों पिछड़ों से अपेक्षित है तो इस प्रोजेक्ट से बहुत उम्मीद की जा सकती है. जाति विनाश कैसे होगा इसकी विस्तार से चर्चा करने से पहले दो वक्तव्य याद रखिये. महान आयरिश लेखक, विचारक और नाटककार जार्ज बर्नार्ड शॉ से एक बार […]