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दीपक मेवाती ‘वाल्मीकि’ (Deepak Mevati ‘Valmiki’)
महाराष्ट्र का गाँव अंबावडे, अंबावडे में रहते सकपाल

घर उनके जन्मा एक बालक, आगे चल जिसने किये कमाल।
चौदह अप्रैल अठारह सौ इक्यानवे, जिस पल भीम का जन्म हुआ
चौदहवीं सन्तान भीमा ने पाई, भीम था उसको नाम दिया।।
हष्ट-पुष्ट और चंचल बालक, अति बुद्धि और ज्ञानवान
पढ़ाई में बिल्कुल अव्वल रहते, फिर भी न मिलता सम्मान।
मास्टर जी दुत्कारा करते, कक्षा से बाहर बिठाया
जाति महार बताई जब, नाई भी था झल्लाया।।
कुएं से पानी पिया एक दिन, सवर्णों ने खूब थी मार लगाई
दृढ़ निश्चयी और लग्नशीलता, इन कटु अनुभवों से आई।
अम्बेडकर नाम के एक अध्यापक, भीम को करते बहुत प्यार थे
रोटी-सब्जी खूब खिलाते, अम्बेडकर नाम देने को हुए तैयार थे।।
आर्थिक तंगी जब आई, भीम हुए परेशान
शिक्षा की ज्योति जले तब कैसे, केलुस्कर बन गए कृपा निधान।
भीम सोलह और रमा नौ वर्ष, कम उम्र में संयोग मिला
जीवन साथी बन गए दोनों, घर में खुशियों का चमन खिला।।
पढ़ाई में लगन लगाकर के, बी.ए. परीक्षा पास करी
नौकरी पाई लैफ्टिनेंट की, बड़ौदा भूमि निवास करी।
पन्द्रह दिन बाद भीम को, पिता-बिमार, समाचार मिला
छोड़ नौकरी घर की ओर, भीम ने तब प्रस्थान किया।।
विकट घड़ी जीवन में आई, रामजी प्राण त्याग गए
हो शिक्षा से भीम की प्रसन्न, सियाजी फिर कृपाल हुए।
अमेरीका में तीन वर्ष को, भीम जाने को तैयार हुए
घर के खर्च को कुछ पैसे तब, भाई आनंद के हाथ दिए।।
सुनकर विदेश जाने की बातें, रमा बहुत उदास हुई
कैसे कटेगा ये जीवन, दुखित मन से ये बात कही।
त्याग तपस्या का सार बताया, शिक्षा की महत्वता भी बताई
कैसे रहना पीछे से मेरे, ऐसे भीम ने रमा समझाई।।
न्यूयार्क पहुंचकर कोलम्बिया में, भीम ने शुरू करी पढ़ाई
अर्थ-राज पढ़ने को भी, लंदन में थी लगन लगाई।
शिक्षा पूरी करी भीम ने, फिर घर वापिस आए
दो-चार दिन रहे वास पर, फिर बड़ौदा ओर कदम बढ़ाए।।
वित्त मंत्री बने भीम, ये चाहते थे महाराज
पूर्ण मन की कर न सके, बीच आया कुटिल समाज।
फिर मिल्ट्री सैक्टरी बने भीम, पर इससे भी चिढ़ गया समाज
किराए पर कमरा नहीं मिला, भीम थे इससे बहुत निराश।।
समाज ने छुआछूत का भीम को, हर पल एहसास कराया था
ऐसे कठिन समय में भी, ये भीम नहीं घबराया था।
साहूजी महाराज मिले तो, मूकनायक अखबार चलाया
दलित समाज को जागृत करने को, ये था पहला कदम उठाया।।
साहूजी ने सभा बुलाई, भीम से वो परिचित करवाई
भीम हैं नेता तुम सब जन के, यूं थी सारी बात बताई।
भीम सभी को लगे जगाने, जन-जागरण का पाठ पढ़ाया
कैसे घटित हुआ सब पहले, विस्तार पूर्वक सब समझाया।।
जाग रहा था दलित वर्ग तब, मन में हिलोर उठी जाती थी
सत्रह से सत्तर के सब जन की, एक भीड़ बढ़ी आती थी।
शिक्षा, संगठन, संघर्ष की बातें, हर रैली में बताते थे
नए-नए आयामों से, जन-जन को वो जगाते थे।।
वायसराय के बुलाने पर, भीम प्रथम गोलमेज गए
ओजस्वी वाणी से अपनी, दीन-दुःखी के दर्द कहे।
गोलमेज जब हुआ दूसरा, गाँधी-अम्बेडकर साथ हुए
पक्ष खुलकर रखा भीम ने, सम्राट भी खूब उल्लास हुए।।
कम्युनल अवार्ड में दलितों को, अलग नेतृत्व जो आया
गांधी जी बैठे अनशन पर, उनको कतई नहीं ये भाया।
अम्बेडकर को कहा सभी ने, इस अलग मांग को छोड़ो
गांधी जी से कहो ये जाकर, तुम इस अनशन को तोड़ो।।
भीम ने अपनी मांग को छोड़ा, गांधी ने मरणाव्रत को तोड़ा
सब ने इस को सही बताया, पूना समझौता ये कहलाया।
संघर्षरत रहे भीम तब, खूब प्रसिद्धि पाई
शेड्यूल कास्ट फेडरेशन, फिर पार्टी एक बनाई।।
संविधान का आधार रखा था, नए नियम जुड़वाएं
दीन-दुःखी के नहीं भले में, वो कानून हटाये।
संविधान के पिता बने, सबको सम्मान दिलाया
पूरी दुनिया में ये मानव, ज्ञान का चिन्ह कहलाया।।
देश आज़ाद हुआ जब सारा, लोकतंत्र का राज आया
उसी सरकार में भीम ने भी, कानून मंत्री पद पाया।
हिन्दू धर्म छोड़ भीम ने, बौद्ध धर्म अपनाया
मानव-मानव एक समान, ये जयकारा लगवाया।।
वो दीपक जो जग में आया, करने को जग को रोशन
सबके बन्ध छुड़ाए उसने, जिनका हो रहा था शोषण।
छः दिसम्बर साल थी छप्पन, भीम हमसे जुदा हुए
लाखों की वो बने प्रेरणा, लाखों के वे खुदा हुए।।
भारत भूमि याद करेगी भीम तेरे उपकारों को
तूने खड़ा होना सिखाया दीन, दुखी लाचारों को।
न कोई स्याही लिख सकती है, तेरे कर्म हजारों को
‘मेवाती’ भी आगे बढ़ाए तेरे सभी विचारों को।।
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दीपक मेवाती ‘वाल्मीकि’ IGNOU से पी.एच.डी कर रहे हैं. वे कवि व् लेखक हैं. हरियाणा राज्यसे हैं. उनसे ईमेल dipakluhera@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.