विज्ञान के उपभोग में अग्रणी लेकिन दिमाग पत्थर युगी

Sanjay Jothe1

  संजय जोठे (Sanjay Jothe) कल ट्रेन में सफर के दौरान चार युवा इंजीनियर्स से बात करने का मौका मिला। चारों एक दूसरे से परिचित होते हुए अपनी पढ़ाई, कमाई, अनुभव, कम्पनी आदि का बखान कर रहे थे। जाहिर हुआ कि चारों देश की सबसे अच्छी सॉफ्टवेयर कम्पनियों में कार्यरत हैं, दो पुणे में एकसाथ है दूसरे दो मुम्बई एकसाथ […]

… बताओ फूलन देवी, क्यों न उन्हें बनना पड़े?

bal gangadhar bagi

  बाल गंगाधर बागी (Bal Gangadhar Bagi) बाल गंगाधर बागी बहुजन आन्दोलन के कारवां में, एक कवि के रूप में, नया हस्ताक्षर हैं. अपने समाज की  दशा और दंश के लम्बे इतिहास को अपनी कविताओं के माध्यम से बयाँ करते हैं. यह जानना हमेशा दिलचस्प रहता है कि कला के झरोंखे से अपनी जड़ों ,आसपास बने और बदलते हालातों और […]

मुस्लिम तुष्टिकरण का सच

Faiyaz Ahmad Fyzie

  फ़ैयाज़ अहमद फैज़ी भारत देश की जलवायु भूमि और भौतिक सम्पदा से आकर्षित हो कर बहुत सारे आक्रमणकारी, व्यापारी और पर्यटक यहाँ आए। कुछ ने सिर्फ व्यापार तक ही खुद को सीमित रखा, कुछ लूट पाट करके वापस हो गए, कुछ ने व्यापार के साथ अपना राजनैतिक स्वार्थ भी सिद्ध किया, कुछ ने सिर्फ थोड़े समय के लिए निवास […]

बनावटी अपराधबोध का निर्माण और इसे ख़ारिज करने की आवश्यकता

suresh rv

सुरेश आर वी (Suresh RV) ‘यह आलेख उन दलित-बहुजन युवाओं के लिए लिखा गया है जिनके मन में इस बात को लेकर confusion रहता है कि आरक्षण लेना चाहिए अथवा नही. या कि वे आरक्षण के वास्तविक पात्र हैं भी कि नही? क्योंकि एक समय अपने जीवन में मैं भी इसी शंका, अपराधबोध और असुरक्षा से ग्रसित था. इसलिए इस […]

…ये सबसे सुरक्षित और सबसे कारगर काम है

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  संजय जोठे  (Sanjay Jothe) भारत के दलितों आदिवासियों, ओबीसी (शूद्रों) और मुसलमानों को मानविकी, भाषा, समाजशास्त्र, दर्शन इतिहास, कानून आदि विषयों को गहराई से पढने/पढाने की जरूरत है. कोरा विज्ञान, मेडिसिन, मेनेजमेंट और तकनीक आदि सीखकर आप सिर्फ बेहतर गुलाम या धनपशु ही बन सकते हैं, अपना मालिक और अपनी कौम के भविष्य का निर्माता बनने के लिए आपको […]

ये ‘हाई प्रोफाइल’ शिक्षा – क्या इसके कोई सामाजिक सरोकार भी हैं?

Sanjay Jothe1

  संजय जोठे (Sanjay Jothe) भारत में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट मेडिसिन या तकनीक की अकेली पढाई पूरी कौम और संस्कृति के लिए कितनी घातक हो सकती है ये साफ नजर आ रहा है। इस श्रेणी के भारतीय युवाओं में समाज, सँस्कृति, साहित्य, इतिहास, धर्म की अकादमिक समझ लगभग शून्य बना दी गयी है। ये तकनीक के “बाबू” देश के लिए बड़ा […]

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और पसमांदा प्रश्न

Faiyaz Ahmad Fyzie

  फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी  मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने स्थापना  से लेके आजतक ये दावा करता आया है कि वह इस देश में बसने वाले सबसे बड़े अल्पसंख्यक समाज की एक अकेली प्रतिनिधि संस्था है, जो उनके व्यक्तिगत एवम् सामाजिक मूल्यों को, जो इस्लामी शरीयत कानून द्वारा निर्धारित किये गए हैं, देखने भालने का कार्य सम्पादित करती है। इसके अतिरिक्त […]

मुस्लिम राजनीति के मुद्दे बनाम पसमांदा मुद्दों की राजनीति

Lenin Maududi

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) मियां-बीवी औसत 3 बच्चे, दो कमरे का घर. उसमे से एक कमरे में पॉवर लूम लगा हुआ रहता है. जो तब तक चलता है जब तक लाइट रहती है. इस पॉवर लूम को घर के सभी सदस्य मिल के चलाते हैं. उत्तर प्रदेश में लाइट का हाल आप को पता ही है पूरे दिन में मुश्किल से […]

हाँ, मुसलमानो का तुष्टिकरण हुआ है, लेकिन अशराफ़ मुसलमानों का

khalid anis ansari

प्रोफेसर खालिद अनीस अंसारी (Professor Khalid Anis Ansari) यह 11 जून 2017 को पटना (बिहार) में बागडोर और अन्य संगठनों द्वारा आयोजित एक-दिवसीय कांफ्रेंस ‘बहुजन चौपाल: भारत का भगवाकरण और सामाजिक न्याय की चुनौतियाँ’ में प्रो. खालिद अनीस अंसारी के वक्तव्य की संशोधित प्रतिलिपि है.     मैं अपनी बात शुरू करने से पहले जो आयोजक संगठन हैं बहुजन चौपाल के […]

जातिवाद सवर्णों की जागीर है, बहुजनों की नही

Vikas Verma

दलित राष्ट्रपति उम्मीदवार, मेरिट और सवर्ण राजनीति विकास वर्मा (Vikas Verma) प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल के बाद नए राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए पहला नाम सत्तारूढ़ भाजपा की तरफ से ‘रामनाथ कोविन्द’ आया। ये नाम ज्यादातर लोगों ने पहली बार सुना था। हो भी क्यों न, राज्यों के राज्यपालों के नाम लुसेंट की ‘सामान्य ज्ञान’ की किताब तक ही […]