डॉ. मनीषा बांगर (Dr. Manisha Bangar) पाकिस्तान ने इंडियन एयर फोर्स के कमांडर अभिनंदन को रिहा कर न केवल जेनेवा समझौते का सम्मान किया बल्कि जिस संवेदनशीलता के साथ उसने भारत को जवाब दिया है, वह बदल रहे पाकिस्तान का प्रमाण है। निश्चित तौर पर इसका श्रेय वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान को जाता है जिन्होंने बिना आवेश में आए […]
लाल सलाम या किसी और आइडियोलॉजी से कोई समर्थन या विरोध नहीं- चन्द्रशेखर आज़ाद
चन्द्रशेखर आज़ाद से अभिषेक जुनेजा की बातचीत गत बृहस्पतिवार, 14 फरवरी को भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद एक ख़ास मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रेस क्लब देहरादून पहुंचे. एससी, एसटी और ओबीसी छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति सरकार द्वारा रोके जाने को लेकर उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार ने 22 फरवरी तक शिक्षा शुल्क का भुगतान प्राइवेट कॉलेजों की निर्धारित […]
पिछड़ी-अतिपिछड़ी-पसमांदा (बहुजन) महिलाओं का सम्मेलन : 2019
कनकलता यादव (Kanaklata Yadav) पिछड़े वर्ग से तात्पर्य सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़ी जातियों से है जिनकी सामाजिक स्थिति पारम्परिक जातिगत पद्सोपानीय व्यवस्था में निम्न है, इन जातियों का एक बड़ा हिस्सा शैक्षिक तरक्की से वंचित है, इन जातियों का सरकरी सेवाओं में बेहद कम/ नगण्य प्रतिनिधित्व है एवं व्यापर, वाणिज्य, उद्द्योगों में भी इनका बेहद कम प्रतिनिधित्व है […]
सुन री सखी मेरी प्यारी सखी!
पायल श्रीवास्तव (Payal Srivastava) …तभी सखी को एहसास होता है लडकियाँ लड़कों से कम थोड़े न हैं अतएव सखी ने अपनी ही योनि को हिंदी भाषा के तमाम तद्भव तत्सम समामनार्थी शब्दों का जामा पहनाकर और विभिन्न उपमाओं से सुसज्जित कर के एक के बाद एक वाक्यों में प्रयोग करते हुए अपनी प्यारी सखी को भेंट कर दिया और इस […]
जंग या फिर भारत के बहुजनों को मारने की साजिश?
डॉ मनीषा बांगर (Dr. Manisha Bangar) 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकी हमले में 42 सीआरएपीएफ के जवान मारे गए। इनमें एक भी ब्राह्मण नहीं था। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश का खून खौल रहा है। हालांकि अपने मुंह से उन्होंने यह नहीं कहा कि भारत के सैनिक बदला […]
मैं दलित हूँ [एक कविता- एक घोषणापत्र]
विद्यासागर (Vidyasagar) मैं दलित हूँ और मुझे गर्व है मेरे दलित होने पर क्योंकि मैं पला हूँ कुम्हारों के चाकों पर,मैं पला हूँ श्मशानों के जलते राखों पर,मैं पला हूँ मुसहरों के सूखे कटे पड़े शाखों पर।मैं दलित हूँ क्योंकिमैंने देखा है अपनी माँ को धुप से तपते हुए खलिहानों में,मैंने देखा है अपने पिता को मोक्ष दिलवाते श्मशानों […]
मधनिषेध की परछाई में दम तोड़ता न्याय
प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) मैं अभी वर्तमान समय में विचाराधीन बंदियों के साथ उनकी सामाजिक विधि सहायता पर कार्य कर रहा हूँ. यह कार्य मैं क्रिमिनल जस्टिस फेलोशिप प्रोग्राम टाटा सामजिक विज्ञानं संस्थान के अंतर्गत कर रहा हूँ. यह फ़ेलोशिप एक प्रकार का फील्ड इंटरवेंशन हैं. इस फ़ेलोशिप की शुरुआत करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि नए प्रोफेशनल को […]
भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) मेरा भाई अल्तमश मुझे आज कल बहुत से नए शायरों से रूबरू करा रहा है. ये शायर इतने प्रगतिशील और क्रांतिकारी हैं कि ये “खुदा की ज़ात” पे भी शेर लिखने से नहीं डरते. पर इनमें से किसी का भी शेर “जाति व्यवस्था’ के खिलाफ़ नहीं पढ़ा है मैंने. ऐसा कैसे मुमकिन है कि वे दुनियां […]
2019 में बहुजनों को आर्थिक क्रांति पर ज़ोर देना चाहिए
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) पिछली दो सदियों में बहुजन समाज के महापुरषों द्वारा चलाये गए अनेकों सामजिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आंदोलनों के बाद अब 2019 में समय आ गया है कि हम आर्थिक आंदोलन की ओर भी बढ़ें. आर्थिक ताकत आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे मज़बूत ताकतों में से एक बन चुकी है. वो ज़माना गया जब […]
क्या मैं कायस्थ हूँ?
पायल श्रीवास्तव (Payal Srivastava) यदि व्यक्तिगत तौर पर कभी मुझे इसका जबाब देना पड़े, तो मैं यही चाहूँगी कि मैं कायस्थ न रहूँ. मुझे भलीभांति यकीन है कि जाति सच नहीं है, जाति जैसा कुछ नहीं होता. मैं स्वयं मनुस्मृति जलाकर फेंक देना चाहती हूँ. मैं एक लड़की हूँ जो थोड़ी सी नास्तिक है और जिसने थोड़ा सा विज्ञान पढ़ा […]