संजय जोठे गुजरात के गौ भक्तों ने दलितों का जो अपमान किया है और जिस तरह से उन्हें सरे आम मारा पीटा है वह अपने आप में बहुत सूचक है. उसकी प्रतिक्रया में पूरे गुजरात के दलित समुदाय में जो एक तरह का अहिंसक आन्दोलन छिड़ गया है वह भी बहुत सूचक है. इन दो घटनाओं और इनके आतंरिक संबंधों […]
शिक्षक दिवस के नाम पर !
रत्नेश कातुलकर वर्णनाम ब्राह्मणों गुरु! यानि गुरु केवल ब्राह्मण वर्ण से ही हो सकता है. आदिकाल से यह भारत का सनातन नियम रहा है. हालांकि ऐसा भी नहीं की इस नियम का पालन देश में अक्षरशः होते रहा हो, स्वयं हिन्दू धर्म ग्रंथों में राक्षसों के गैर-ब्राह्मण गुरु शुक्राचार्य का वर्णन मिलता है और भारत के एक समय जो विश्व […]
यहां गाय और सांप मारना मना है! आदमी मारिए!
डॉ ओम सुधा पिछले दिनों हम सबने खबर सुनी कि एक दलित केवल इसलिए पीट-पीट कर मार दिया गया क्योंकि उसने अपने घर में निकले एक विषैले सांप को मार दिया था. पीटकर हत्या करने वालों का तर्क है कि सांप उनके लिए पूज्यनीय है. पिछले दिनों गाय और गोमांस के मुद्दे पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर देने […]
भारतीय कैंपसों (परिसरों) में जातिवाद और जाति की कहानी – I
टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) मुंबई में, 22 दिसंबर 2014 को हुए अम्बेडकरवादी छात्र संघ द्वारा आयोजित वार्ता पर उनका भाषण है , इस भाषण को वल्लिंमल करुणाकरण द्वारा लिप्यंतरित किया गया है. मेरा नाम अनूप है और मैं भारतीय कैम्पसों में दलित विद्यार्थियों के मुद्दों पर लगभग 20 सालों से काम कर रहा हूँ, पहले एक विद्यार्थी के रूप में और […]
बाबरी से दादरी तक
श्वेता यादव (Sweta Yadav) आज़ाद भारत जी हाँ आज़ाद भारत! सिर्फ आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश। लोकतंत्र का जश्न मानते हुए भारत के नागरिकों को लगभग 68 वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन आज भी कुछ सवाल जस का तस हमारे सामने मुह बाए खड़े है। समानता का अधिकार देता हमारा संविधान यह सुनिश्चित करता है […]