नाज़ खैर (Naaz Khair) देश भर में बहुजनों ने मान्यवर कांशीराम जी की 85वीं जयंती बहुजन दिवस के तौर पर मनाया. एक पसमांदा कार्यकर्ता के रूप में मैंने भी दिल्ली में आयोजित एक बहुजन दिवस समारोह में भाग लिया और प्रमुख बहुजन मुद्दों के बारे में अपने विश्लेषण प्रस्तुत किए. जिन लोगों को पसमांदा आंदोलन के बारे में जानकारी नहीं […]
मुस्लिम आरक्षण: पसमांदा के लिए होलोकास्ट जैसा
एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) तथाकथित मुस्लिम लीडरशिप द्वारा काफी समय से निरन्तर मुस्लिम आरक्षण की माँग की जाती रही है. इधर सच्चर आयोग की उस तथाकथित रिपोर्ट (मुस्लिमों की हालत दलितों से बदतर है) की आड़ लेकर (हालाँकि सच्चर ने ऐसा बिल्कुल नहीं कहा है) ये माँग और तेज कर दी गयी है. जब हम […]
गाय हिंसा के लाभार्थी कौन हैं?
जिस गौ हिंसा से लहुलहान हैं पसमांदा-बहुजन, उसी गौ आतंक का लाभार्थी है सय्यद-ब्राह्मण नाज़ खैर (Naaz Khair) अनुकूल जलवायु और स्थलाकृति (Topography) के कारण, पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन आदि क्षेत्रों ने भारत में प्रमुख सामाजिक-आर्थिक भूमिका निभाई है. इसके अलावा, पारंपरिक, सांस्कृतिक एवम् धार्मिक मान्यताओं ने भी इन गतिविधियों की निरंतरता में अपना योगदान दिया है. वैसे देखा […]
फिरका बनाम जाति: असरदार कौन?
एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) मुस्लिम समाज में जिस तरह से जातियाँ और फिरके है वह किसी भी व्यक्ति से छिपे नही हैं, वह चाहे कोई मुस्लिम समाज का जानकार हो या अनभिज्ञ. किन्तु जहाँ मुस्लिम समाज/इस्लाम में मौजूद फिरकों की समस्या को मुस्लिम समाज में मौजूद सभी वर्ग (उच्च, मध्य, निम्न) खुले आम स्वीकार करते […]
कश्मीर में जातिवाद: मेरा अवलोकन एवं अनुभव
मुदासिर अली लोन (Mudasir Ali Lone) जब भी कोई कश्मीर में जातिवाद की बात करता है तो हम अक्सर “नही” में अपना सिर हिलाते हैं। अगर आप डरावनी कहानियाँ सुनने के मूड में हैं तो आप कश्मीर में ग्रिस्त (खेती बाड़ी करने वाले) जाति के लोगों से मिलें और उनसे पूछें कि मल्ला/पीर/सैयद (उच्व जाति) उनके साथ कैसा बर्ताव करतें […]