मेरे हाथ में कलम है…

करुणा (Karuna) 1इतिहास हमारा छीन कर कब तक मौज मनाओगे वीर गाथा दबा कर हमारी शेर तो ना बन जाओगेधूर्त ही कहलाओगे मेरे हाथ में कलम है जो अब उसने चलना सीख लिया है इतिहास की परतें खोल रही हूँ मैंने खोजी होना सीख लिया है काफी कुछ तो ढूँढ लिया है बहुत कुछ मगर अभी है बाकि झूठी शानो-शौकत […]

मैं तुम्हें मैली मिट्टी में बदल सकती हूं… (धम्म दर्शन की कवितायेँ)

Dhamma

धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam)   1. जननी मैं जननी इस संसार की आज तलाश में अपनी ही पहचान की अपने ही पेट से चार कंधों के इन्तजार तक!! पहचान मिली भी तो आश्रित रहने की बचपन में पिता पर जवानी में पति पर और बुढ़ापे में बेटे पर पूरी उम्र आश्रित अपनी ही पैदा की गई जात पर […]