पितृसत्ता, नारीवाद और बहुजन महिलाएं

जूपाका सुभद्रा (Joopaka Subadra)   जूपाका सुभद्रा से बातचीत का यह (पहला) भाग भारत नास्तिका समाजम और साइंटिफिक स्टूडेंट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित एक बातचीत में उन्होंने रखा था.   आज मैं जिस विषय पर बात करने जा रही हूँ, वह है ‘पितृसत्ता, नारीवाद और बहुजन महिलाएँ’! नारीवादियों के अनुसार, नारीवाद, महिलाओं और पुरुषों के बीच, समानता को लेकर है, और, समानता के लिए है. वे कहती हैं, सभी महिलाएं […]

कोरोनाकाल चिन्तन: मीडिया सरकार पर मेहरबान या सरकार मीडिया पर

Islam Hussain

इस्लाम हुसैन (Islam Hussain) एक कविता है- राजा बोला रात है रानी बोली रात है मंत्री बोला रात है संतरी बोला रात है सब बोले रात है यह सुबह सुबह की बात है… गोरख पाण्डे की इस मशहूर कविता में अगर राजा के बाद रानी, मंत्री और संतरी आदि को ए, बी, सी, डी मीडिया मान लिया जाऐ तो यह […]

सुपर हीरो की दुनिया में नस्लवाद: ‘वॉचमेन’ की समीक्षा

Lenin Maududi

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) 31 मई 1921 की बात है, जिला ग्रीनवुड (Greenwood district) के ओक्लाहोमा (Oklahoma) में स्थित टुल्सा (Tulsa) के एक सिनेमाघर में एक बच्चा फ़िल्म देख रहा है. फ़िल्म का नायक एक नकाबपोश काला हीरो है. जो गोरों की जान बचाता है, सभी उससे प्यार करते हैं. बच्चा उस हीरो को देख कर फ़िल्म का आनंद ले […]

भारतीय संस्कृति किसकी है, बहुजनों की या ब्राह्मण धर्म की?

Amit Kumar Mumbai

अमित कुमार (Amit Kumar) हिन्दू कोई धर्म नहीं है, कथित ज्ञाता सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा, इस पर कोई बवंडर नहीं मचा. हिन्दू कोई धर्म नहीं है, 1995 के प्रसिद्ध हिंदुत्ववाद में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा इस पर भी कोई हंगामा नहीं हुआ. हिन्दू कोई धर्म नहीं बल्कि एक संस्कृति है, वीर सावरकर ने कहा, तब सब जमूरों की तरह झूमने […]

भारत में बलात्कार की घटनाओं के सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम

Hawaldar Bharti

हवलदार भारती (Hawaldar Bharti) बलात्कार क्या है? और यह क्यों घटित होता है? बलात्कार या यौन हिंसा के सामाजिक और सांस्कृतिक मायने क्या हैं? इस लेख का मुख्य उद्देश्य बलात्कार की घटनाओं की सामाजिक और सांस्कृतिक आयामों की तफ्तीश करना है. जैसा कि सर्वविदित है कि, बलात्कार भी एक हिंसा है. अर्थात ब्लात्कार हिंसा का अभिन्न अंग है. हालाँकि हिंसा के […]

नागरिक विरोधी नागरिकता कानून

Dhamma

धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam) किसी भी राजनैतिक पार्टी को मालूम होता है कि उसे किस क्षेत्र से किस जाति-धर्म-समुदाय के लोगों का वोट मिल रहा है। अपने-अपने वोट बैंक को स्थिर रखने या और बढ़ाने के लिए तो राजनैतिक पार्टियां काम करती ही हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियों के वोट बैंक को कमज़ोर करने या ख़तम करने का काम […]

आर्टिकल 15, द्विज-क्रन्तिकारी और बहुजन (फिल्म विश्लेषण)

Sanjay Shraman Jothe 3 7 19

 संजय जोठे (Sanjay Jothe) आर्टिकल 15 एक अच्छी फिल्म है, सभी मित्रों को जरुर देखनी चाहिए. इसमें कई खूबियाँ और कई कमियाँ है. यहाँ जब मैं इसे अच्छी फिल्म कह रहा हूँ तो इसका यही अर्थ है कि यह बहुत सारी दिशाओं में विचार करने को विवश करती है. कोई भी फिल्म या रचना एक आयाम में ही अपने निर्णयों […]

टीवी वाले एग्जिट पोल की ऐसी की तैसी – एक्जिट पोल- 1 (पश्चिम बंगाल)

manish chand

मनीष कुमार चांद (Manish Kumar Chand) कुछ लोग सोचते हैं कि पश्चिम बंगाल त्रिपुरा हो जायेगा । उन्हें इन तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए । पश्चिम बंगाल में कट्टर हिंदुत्व के चेहरों को बीजेपी ने प्रचार की लिए उतारा था। उसमे यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी , खुद अमित शाह, नरेंद्र मोदी और स्मृति ईरानी। पहले अमित शाह को लेते […]

डाॅ. अम्बेडकर का जीवन दर्शन ही मेरे जीवन का प्रेरणा स्रोत- कैलाश वानखेडे

डॉ. रत्नेश कातुलकर कैलाश वानखेड़े जी अपने प्रथम कहानी संग्रह ‘सत्यापन’ से हिंदी साहित्य जगत में अपनी विशेष पहचान के रूप में उभरे हैं. उनकी कहानियों की ज़मीन व्यापक बहुजन आन्दोलन है. कहानियों के पात्र गाढ़ी स्याही से हस्ताक्षर करते हैं. कई जगहों पर उनकी कहानियों को लेकर कार्यक्रम रखे गए. कहानियों का पाठ हुआ. उन्हीं की एक कहानी ‘जस्ट […]