अंशुल कुमार (Anshul Kumar) महल के शिखर पर बैठे पुरुष “तो , मैं एक दिन लिनलिथगो के पास गया और शिक्षा पर होने वाले खर्च के बारे में कहा, “यदि आप क्रोधित न हों तो मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। मैं पचास [हाई स्कूल] स्नातकों के बराबर हूँ, है ना?” उसे (लिनलिथगो को) इसके लिए राजी होना पड़ा। फिर […]
एंटी-कास्ट पॉलिटिक्स को समझने में उदारवादियों के भीतर दर्शन की कंगाली
ओमप्रकाश महतो (Omprakash Mahato) ऐसे सामाजिक वैज्ञानिक भी हैं जो केवल कागज़ों-किताबों के माध्यम से या सम्मेलनों और सेमिनारों में भाग लेकर या समाज का दूर से अवलोकन आदि करके ही जाति पर अपने विचार विकसित करते हैं. जबकि पाठ्यपुस्तकों को पढ़ना एक पारंपरिक तरीका है, कुछ विद्वान बॉलीवुड फिल्में देखने, समाचार पत्र पढ़ने, न्यूज़-रूम स्टूडियो में बहस देखकर, अपने […]
घेटोअ गॉस्पेल (Ghetto Gospel)
राहुल सोनपिंपले (Rahul Sonpimple) पुल की दायीं तरफ नयी रंगीन बीस मंजिला ईमारत बनी थी रात को आसमान के तारे ईमारत पे उतर आते थे बिल्डर ने पारधियों की झोंपड़ियाँ हटाके, सिर्फ ज़मीन ही थोड़ी ना खरीदी थी! हमारे बस्ती के किनारे लगे रिंग रोड पे चढ़के देखना सरकार ने बिल्डर को पूरा आसमां बेच दिया था श्याम होते […]
अछूतों की बस्ती
राहुल सोनपिंपले (Rahul Sonpimple) बीफ की दो बोटियाँ तोड़ के आधा गीला शरीर घर के उस कोने की तपी दिवार पे रख के बीड़ी के दो कश लगाना सुकून भरा तो रहा होगा हम्म हम्म करते हुए बच्चों की बस आधी बात सुनके हर रोज़ गहरी नींद में डूब जाना आदत थी? या उन् निक्कमे साइकिल रिक्शा के दो […]