आज की स्त्री, कहाँ दबी कुचली है?

  मैं पत्रकारिता की छात्रा रही हूँ| कायदे से कहूँ तो डिग्रीधारी पत्रकार हूँ , जिसने कई पत्रकारिता संस्थानों में अपने डिग्री और लेखन के बल पर कार्य भी किया है | लेकिन हर जगह नौकरी छोड़नी पड़ी । कहीं पर जातिगत मान्यताओं के चलते तो कहीं अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करने के चलते, इनमें से कई जगहें ऐसी भी […]

मायावती और हत्शेपसुत: दो स्त्रियाँ, दो समय और दो धुरियाँ

एक हैंडबैग। एक नकली दाढ़ी । मायावती और हत्शेपसुत की मूर्तियों का हिस्सा बनने से ये दो मामूली सी लगने वाली चीज़े भी डरावने प्रतीकों में बदल जाती हैं। इन दो महिलाओं की मूर्तियों पर समाज  में अभूतपूर्व मात्रा में क्रोध ज़ाहिर किया जा चुका है।  क्या यह गुस्सा इन मूर्तियों की वजह से है , इन मूर्तियों में दर्शाया […]

ज्ञानज्योति सावित्रीबाई फुले -प्रो. हरि नारके

यह आलेख NCERT की 2008 की मेमोरियल लेक्चर सीरीज (स्मारक व्याख्यान श्रंखला) में आयोजित सावित्रीबाई मेमोरियल लेक्चर का एक भाग है| इसके लेखक हैं प्रो हरि नारके., प्रो नारके महात्मा फुले पीठ, पुणे विश्वविद्यालय के निदेशक हैं| वे एक प्रख्यात विद्वान् हैं, जो अब तक 6000 से अधिक व्याख्यान दुनिया के प्रसिद्द विश्वविद्यालयों में दे चुके हैं|  पुणे में महात्मा […]

अब आगे ऐसा करना

अंकित गौतम     ये लौ हैकई तूफ़ानों से लड़ करबचाया है खुद को कई आंधियों सेब्राह्मणवाद की तेज़ाबी बारिश सेउसके आग बरसाते सूरज सेअंधेरी तूफानी रातों सेइसे बुझने न देनाइसे अपना खून-पसीना देनापर जलाए रखना..।

आरक्षण के बारे में बात करना मैंने क्यों बंद कर दिया ?

तेजस हरड एक समय ऐसा था जब मैं आरक्षण का बहुत मुखर तौर पर प्रतिवाद करता था। मैं आरक्षण नीतियों के समर्थन में फेसबुक पर लिंक और स्टेटस अपडेट पोस्ट करता था और जो चर्चा शुरू होती थी उसमें बहुत उत्साह से भाग लेता था। जो मेरी पोस्ट और मेरे आरक्षण समर्थक रुख की निंदा करते थे, बेशक सवर्ण होते […]

राजस्थान उच्च न्यायलय में मनु की मूर्ति:न्याय के मंदिर में अन्याय के प्रतीक को सम्मान ?

हरीश परिहार इंसाफ की उम्मीद पर एक अमानवीय धब्बा है मनु की मूर्ति क्या ऐसी अदालत से इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है जिसके परिसर में इंसाफ की आस में जाने वालों को अन्याय का एक प्रतीक हर वक्त मुंह चिढ़ा रहा हो? राष्ट्र-निर्माता डॉ बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर ने 25 दिसम्बर 1927 के दिन महाराष्ट्र के महाड़ में […]

किराये के घर की खोज में: छूआछूत और अपमान जो आज मैंने अनुभव किया

नागराज हेत्तुर मैं पिछले 15 दिनों से हसन क्षेत्र के सांतिनगर और हेमावती में किराये के लिए घर खोज रहा हूं। मुझे एक घर पसंद आया जो मेरी बेटी के स्कूल के पास था। जब मैंने फ़ोन किया ,मुझे अगले दिन मिलने के लिए बुलाया गया। मैंने मंजेगौड़ा, कर्नाटक साहित्य परिषत के हसन शाखा अध्यक्ष को सूचित किया जिसने मकान-मालिक […]

काली परतों वाली बहुत अच्छी सड़कें और खाक काली बस्ती…

  अरविंद शेष (Arvind Shesh) बिहार की सड़कों के बारे में कुछ फैशनेबुल जुमले जब दिमाग में बैठे हों और आप किसी दूसरे राज्य की सड़कों से गुजर रहे हों तो यह बात एक ‘उम्मीद’ की तरह आसपास मंडराती रहती है कि कम से कम देहाती इलाकों में बिहार जैसी सड़कें जरूर देखने को मिल जाएंगी। लेकिन नौ मई की […]

हिंदी भाषा में राउंड टेबल इण्डिया का प्रारंभ

राउंड टेबल इण्डिया को हिंदी में प्रस्तुत करते हुए हमें बड़ा हर्ष हो रहा है | जाति-विरोधी अभिव्यक्तियाँ  जो  कि मुख्य रूप से दलित-बहुजन आदिवासी द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में होता है , उसमें  से बहुत छोटा सा हिस्सा ही छनते-छनते अंग्रेजी भाषा के माध्यम से  विचारों एवं गतिविधियों के अंतिम पड़ाव के रूप में प्रस्तुत हो पाता है […]

अपनी जाति से कुछ व्यक्तिगत सवाल

आशा सिंह (Asha Singh) मैं दलित नहीं हूँ लेकिन मैं एक ‘बेहतरीन जाति’ की भी नहीं हूँ इसका एहसास मुझे बचपन से ही था. मेरा बचपन (नब्बे का दशक) एक कोलियरी-टाउन सिंगरौली की चीप हाउसिंग कॉलोनी में बीता जहाँ मेरे पिता सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करते थे. बैरक-नुमा यह कॉलोनी सिंगरौली के आख़िरी छोर पर है, जिसे ‘नीचे कॉलोनी’ भी […]