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नागराज हेत्तुर

मैं पिछले 15 दिनों से हसन क्षेत्र के सांतिनगर और हेमावती में किराये के लिए घर खोज रहा हूं।

मुझे एक घर पसंद आया जो मेरी बेटी के स्कूल के पास था। जब मैंने फ़ोन किया ,मुझे अगले दिन मिलने के लिए बुलाया गया। मैंने मंजेगौड़ा, कर्नाटक साहित्य परिषत के हसन शाखा अध्यक्ष को सूचित किया जिसने मकान-मालिक से मुझे घर किराये पर देने के लिए सिफारिश किया था। मंजेगौड़ा को बताया गया था कि चूंकि वे सिफारिश कर रहे थे इसलिए कोई परेशानी नहीं है और मुझे सुबह पहुंचने के लिए कहा गया।

मैं करीब 50 घरों को देख चुका था और बहुत खुश एवं उत्साहित था क्योंकि मुझे पक्का विश्वास था कि  मंजेगौड़ा की सिफारिश मुझे घर सुरक्षित करने में सहायता करेगी।

 

सुबह जितनी जल्दी मैं उठा ,मंजेगौड़ा के घर तक कार चलाकर गया और उन्हें भी जगाकर अपने साथ ले गया।
क्योंकि मंजेगौड़ा मेरे साथ थे और घर एक गौड़ा परिवार का था मुझे पक्का यकीन था कि कम से कम आज तो घर मुझे मिल ही जाना चाहिए।

घर देखने के बाद मैंने हर बात के लिए हाँ कर दिया।

घर से बाहर आते हुए मैंने अग्रिम देने के का प्रस्ताव किया।

“आपकी जाति क्या है,श्रीमान्,” मकान-मालिक ने मंजेगौड़ा के सामने ही सीधा पूछा।
एक क्षण के लिए मैंने गौड़ा की ओर देखा।
वह भी मेरी ओर ही देख रहे थे।

मैं झूठ बोलने का आदी नहीं हूं। मैं सामाजिक काम करता हूं और टेलीविज़न पर आता रहता हूं और किसी ना किसी दिन सच्चाई तो बाहर आ ही जाएगी।

मैंने कहा अनुसूचित जाति।

मकान-मालिक का मुंह बन गया और उसने कहा,” कृपया आप बुरा ना मानें लेकिन मैं अनुसूचित जाति को मकान किराये पर नहीं देता।”

“क्यों?” मैंने पूछा|

“मेरी पत्नी इसे पसंद नहीं करती,” उनका उत्तर था।

नायकराहल्ली मंजेगौड़ा चुप हो गये थे। मैं अवाक था।

मैंने अपमान और गुस्सा महसूस किया और मेरा धैर्य अपनी सीमा पर पहुँच चुका था।

इसी समय मंजेगौड़ा ने कहा,” वह हमारे में से एक है, उसे घर लेने दीजिये बॉस।”

उसने सीधे मुंह जवाब दिया,” माफ़ कीजिये मंजेगौड़रे।”

किसने जाति बनायी, मैंने मन ही मन कोसा। मैं बुरी तरह से दुखी था और मैंने सोचा कि कैसे मैं इतने लोगों के लिए लड़ता हूं और मेरी अपनी स्थिति कोई अलग नहीं है।
कर्नाटक साहित्य परिषत,हसन के अध्यक्ष “दलितों को किराये पर मकान देने में छूआछूत की प्रथा” के साक्षी बने। मैं उनके शब्दों का इंतज़ार कर रहा था।  

“सर, लोग ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं?खैर, परेशान नहीं हो, दूसरा मिल जायेगा,” मंजेगौड़ा ने यह बोलकर मुझे शांत कराने की कोशिश किया जब वे बाहर आये।

मैंने अपने अंकल,सुब्बु होलेयर को फ़ोन किया।

“मुझे अपमानित किया गया। क्या मैं इन लोगों को सबक सिखाने के लिए उत्पीड़न अभियोग दर्ज कर सकता हूँ?”

“अगर यह उनके दिलों में है तो कुछ नहीं किया जा सकता। ये उनके घर हैं और वे उसे दे सकते हैं जिसे चाहें” मेरे अंकल ने कहा।

मैंने ख़ुद को शांत करने की कोशिश किया।

“कौन उनके दिलों को बदलेगा ? वह कब होगा?”

मैंने करीब 50 घरों को देखा। मैं किराया और अग्रिम देने को तैयार हूं लेकिन मुझे एक भी घर ऐसा नहीं मिला जहां मकान-मालिक ने मेरी जाति ना पूछी हो। देखते हैं..

देवेगौड़ा,पूर्व प्रधान मंत्री,हसन के एमपी हैं।

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यह लेख नागराज हेत्तुर द्वारा 12 मई को फेसबुक पर कन्नड़ में प्रकाशित किया गया था। श्रीधर गौड़ा द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित लेख Round Table india में प्रकाशित किया गया ।

नागराज हेत्तुर एक कवि,पत्रकार और कार्यकर्ता हैं।

हिन्दी अनुवादक : पुष्पा यादव

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