सर सैयद अहमद खान: रहनुमा, अपना रहनुमा न हुआ

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) कल रात अलीगढ़ से मेरी एक बहन का कॉल आया. वह अलीगढ़ से पीएचडी कर रही है. वह मुझसे बहुत नाराज़ थी कि मै ‘सर सैयद अहमद खान’ के खिलाफ क्यों लिख रहा हूँ? मैंने स्पष्ट करते हुए अपना पक्ष रखा कि मैं विरोध नहीं कर रहा बल्कि वही लिख रहा हूँ जिसे सर सैयद ने […]

दुश्वार राहों से गुज़रता पसमांदा आंदोलन और उसकी मांगें

Faiyaz Ahmad Fyzie New

जज़्बाती सवालों से हटकर… शिक्षा, रोज़ी-रोटी और सत्ता में हिस्सेदारी की बात फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) पसमांदा फारसी का शब्द है जो आगे चलकर उर्दू भाषा का हिस्सा बना. इसका अर्थ है- जो पीछे रह गया है. पसमांदा शब्द मुस्लिम धर्मावलंबी आदिवासी, दलित और पिछड़े के लिए बोला जाता है. पसमांदा अन्दोलन का इतिहास बाबा कबीर से शुरू […]

सर सैयद के जातिवाद की मुखालफत पर अडिग पसमांदा-बहुजन

sir sayyad ahmad khan

राउंड टेबल इंडिया बीते कुछ दिनों से सर सैयद के लेखों और उनकी स्पीचों को लेकर फेसबुक पर लगातार पसमांदा संगठन और बहुजन छात्र विरोध दर्ज करा रहे हैं. आरोप ये है कि सर सैयद अहमद खान ने अपनी किताब असबाब-ए-बगावतें हिन्द के  पृष्ठ: 60 पर भारतीय मुसलमानों की एक जाति को बदज़ात जुलाहा लिखा था. इस बात से खासे […]

‘कहाँ है जातिवाद’ की रट बनाम मोहब्बत का क़त्ल

विकास वर्मा (Vikas Verma) हमारे और आपके प्यार में अंतर है, बहुत अंतर है। आप लोग प्यार करते हो तो आपकी शादी हो जाया करती है। हम लोग प्यार करते हैं, तो हमें मार तक दिया जाता है… आपके द्वारा. आप फिर भी चौड़े होकर कहते हैं- कहाँ है जातिवाद? दरअसल आप, बस ऐसा बोलकर (अपने खुद के, अपने परिवार […]

2 अप्रैल का ऐतिहासिक भारत बंद – बहुजन इंक़लाब की ओर बढ़ता भारत

satvendra madara

  सतविंदर मदारा (Satvendar Madara)   सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC-ST Act को कमज़ोर करने के विरोध में 2 अप्रैल को हुए ऐतिहासिक भारत बंद में जिस तरह पूरा बहुजन समाज (OBC+SC+ST+Minority) एकजुट हुआ, उसने यह साफ कर दिया है कि भारत अब बहुजनों की क्रांति की ओर बढ़ रहा है। जब 20 मार्च को यह फैसला आया तो सोशल मीडिया […]

उत्तर भारत का रोहित वेमुला, सुब्रह्मण्यम सदरेला (विशेष रिपोर्ट)

Dilip Mandal Pic

  दिलीप मंडल (Dilip Mandal हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रोहित वेमुला और आईआईटी कानपुर के डॉक्टर सुब्रह्मण्यम सदरेला दोनों में कई समानताएं और एक फर्क है. दोनों अपने विषय के अच्छे विद्वान माने गए. दोनों आंध्र प्रदेश के बेहद गरीब परिवार से आए और शिक्षा के शिखर पर पहुंचे. एक पीएचडी कर रहा था, दूसरे ने पीएचडी पूरी कर ली […]

‘जाति’ और ‘नस्ल’; दो अलग व्यवस्थाएं लेकिन अनगिनत समानताएं

satvendra madara

  सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) यूरोपीय मूल के लोगों द्वारा अफ्रीकी मूल के अश्वेत लोगों के साथ किया जाने वाला नस्लीय भेदभाव हो या भारतीय उपमहाद्वीप की पिछड़ी और अनुसूचित जातियों का ब्राह्मणों द्वारा किया जाने वाला जातीय भेदभाव। ऊपरी तौर पर अलग दिखने के बावजूद, बुनियादी तौर पर यह लगभग एक ही तरह की गैर-बराबरी पर आधारित है। इन […]

कश्मीर में जातिवाद: मेरा अवलोकन एवं अनुभव

Mudassir Ali Lone

मुदासिर अली लोन (Mudasir Ali Lone) जब भी कोई कश्मीर में जातिवाद की बात करता है तो हम अक्सर “नही” में अपना सिर हिलाते हैं। अगर आप डरावनी कहानियाँ सुनने के मूड में हैं तो आप कश्मीर में ग्रिस्त (खेती बाड़ी करने वाले) जाति के लोगों से मिलें और उनसे पूछें कि मल्ला/पीर/सैयद (उच्व जाति) उनके साथ कैसा बर्ताव करतें […]

मराठी और हिंदी दलित आत्मकथाओं में स्त्री चिंतन

Daya Aruna

  डी. अरुणा (D. Aruna) आत्मकथा में आत्म का सम्बन्ध लिखने वाले से है और कथा का सम्बन्ध उसके समय और परिवेश से है. कोई लेखक जब अपने विगत जीवन को समूचे परिवेश के साथ शब्दों में बाँधता है तो उसे हम आत्मकथा कहते हैं. हिन्दी में अन्य विधाओं की तुलना में आत्मकथा कम ही लिखी गई है परन्तु पिछले […]

अशराफिया समाज के बोल – समुद्र में अदहन

iqbal ansari

  एम्.इकबाल अंसारी (M. Iqbal Ansari) कभी कभी ज़िन्दगी में ऐसी घटनाएँ, ऐसी बातें देखने व् सुनने को मिल जाती हैं जो दिल दिमाग में गहराई तक चोट करती हैं. ऐसी ही कभी न भूलने वाली सवर्ण मुस्लिम शिक्षक द्वारा की गई व्यंग्य पर आधारित यह प्रसंग समुन्द्र में अदहन [अदहन माने ‘खौलता हुआ पानी ‘(भोजन आदि के लिये)] वाला […]