राउंड टेबल इण्डिया को हिंदी में प्रस्तुत करते हुए हमें बड़ा हर्ष हो रहा है | जाति-विरोधी अभिव्यक्तियाँ जो कि मुख्य रूप से दलित-बहुजन आदिवासी द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में होता है , उसमें से बहुत छोटा सा हिस्सा ही छनते-छनते अंग्रेजी भाषा के माध्यम से विचारों एवं गतिविधियों के अंतिम पड़ाव के रूप में प्रस्तुत हो पाता है […]
अपनी जाति से कुछ व्यक्तिगत सवाल
आशा सिंह (Asha Singh) मैं दलित नहीं हूँ लेकिन मैं एक ‘बेहतरीन जाति’ की भी नहीं हूँ इसका एहसास मुझे बचपन से ही था. मेरा बचपन (नब्बे का दशक) एक कोलियरी-टाउन सिंगरौली की चीप हाउसिंग कॉलोनी में बीता जहाँ मेरे पिता सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करते थे. बैरक-नुमा यह कॉलोनी सिंगरौली के आख़िरी छोर पर है, जिसे ‘नीचे कॉलोनी’ भी […]
हवा के खिलाफ यहां तक…
Manisha Mashaal हवा के खिलाफ यहां तक… मेरा नाम मनीषा मशाल है। मैं जमीनी स्तर की जाति-विरोधी कार्यकर्ता, वक्ता और गायक हूं और फिलहाल अखिल भारतीय दलित महिला अधिकार मंच के हरियाणा राज्य की संयोजक हूं। मैं हरियाणा के एक छोटे-से गांव से हूं। आज जहां मैं हूं, वहां पहुंचने के लिए एक दलित स्त्री होने के नाते मुझे बहुत […]
“बुद्धा इन ए ट्राफिक जाम” : सियासी परदे में किसका एजेंडा…!
देश के ‘सबसे बड़े दुश्मनों’ और ‘सबसे बड़ी समस्याओं’ से लड़ने के तरीके और उनसे पार पाने के ‘रास्ते’ अब वॉलीवुड के फिल्मकारों ने बताना शुरू कर दिया है! हालांकि सिनेमा के परदे पर ‘उपदेश’ तो पहले भी होते थे, लेकिन उन्हें ‘फिल्मी’ कह और मान कर माफ कर दिया जाता था! लेकिन अब फिल्में बाकायदा राजनीतिक एजेंडे के […]
रामविलास शर्मा की लेखनी में डॉ आंबेडकर: एक आलोचनात्मक समीक्षा
हिन्दी साहित्य-जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ रामविलास शर्मा अपनी प्रग्तीशीलता और मार्कस्वाद के प्रति अपनी निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। इन्होने कमजोर तबको के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने की भरपूर कोशिश भी की है किन्तु इनकी लेखनी पर नज़र डालने पर हमे शर्मा जी की असलियत पता चलती है। इन्होने मार्क्स्वाद को चोला ओढ़कर बड़े शातिर तरीके से दक्षिणपंथी […]
शिक्षक का जातिवाद और लिंगभेद प्रेरणा बना
हरियाणा के एक गाँव में पली-बढ़ी डॉ. कौशल पंवार दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत पढ़ा रही हैं. इनकी ज़िन्दगी तमाम कठिनाइयों और परेशानियों के बावजूद अपने लक्ष्य को हासिल करने की सफल ज़द्दोज़हद की अनूठी दास्ताँ है. अनूप कुमार द्वारा लिया गया उनका यह साक्षात्कार अंग्रेजी भाषा में दलित एंड आदिवासी स्टुडेंट्स पोर्टल पर उपलब्ध है .
महात्मा ज्योतिबा फुले – जीवनी
आधुनिक भारत में सामाजिक क्रांति के अग्रदूत के रूप में यूँ तो सभी बंगाल के भद्रलोक जैसे राजा राम मोहन रॉय, केशव चंद्रसेन, इश्वर चंद विद्यासागर आदि के बारे में स्कूलों और अन्य पाठ्यक्रमो में पढ़ते रहे हैं जिनकी बंगाल प्रान्त में उच्च वर्णीय महिलाओ को दयनीय स्थिति से निकालने में प्रभावी भूमिका थी पर देश के मध्यप्रांत में जन्मे […]
हम सबके लिए बाबासाहेब
Essay 2. ‘What Babasaheb Ambedkar Means to Me’ Ravindra Kumar Goliya आप सभी को बाबासाहब की १२५वीं जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं| आप सब से मैं पूछना चाहता हूँ कि हम बाबासाहब की जयंती क्यों मनाते हैं? क्या सिर्फ उन्हें याद करने के लिए? क्या सिर्फ यह याद कर लेने से काम चल जायेगा कि बाबासाहब ने हमारे लिए यह किया या […]
‘बाबासाहब अंबेडकर मेरे लिए क्या मायने रखते हैं ‘ शीर्षक पर लेख आमन्त्रित हैं
Round Table India बाबा साहिब के जीवन और उनकी उपलब्धियों को मनाने के लिए किसी ख़ास अवसर की ज़रूरत नहीं है, उनका उदय एक चेतना और जन-मानस के एक नैतिक लंगर के रूप में हुआ। एक संगीतमय परम्परा उनके जीवन के प्रतिपादन की जो उनके जन्म से शुरू होते हुए, महाड़ में अपना रूप लेते हुए, पूना पैक्ट, गोल मेज़ सम्मलेन, […]
बाबरी से दादरी तक
श्वेता यादव (Sweta Yadav) आज़ाद भारत जी हाँ आज़ाद भारत! सिर्फ आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश। लोकतंत्र का जश्न मानते हुए भारत के नागरिकों को लगभग 68 वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन आज भी कुछ सवाल जस का तस हमारे सामने मुह बाए खड़े है। समानता का अधिकार देता हमारा संविधान यह सुनिश्चित करता है […]