सैराट: मराठी सिनेमा की नई लहर

दिव्येश मुरबिया नागराज मंजुले, उनकी नवीनतम फिल्म सैराट के लिए मराठी फिल्म निर्देशक के तौर पर काफी मशहूर हुए हैं लेकिन उनको इस फिल्म से कहीं अधिक श्रेय जाता है. उन्होंने एक लघु फिल्म पित्सुल्या के साथ अपना कैरियर शुरू किया था जिसने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलवाया. उन्होंने फैंड्री के साथ मराठी फिल्म उद्योग में शुरूआत किया था, जो व्यापक […]

एक दलित की चिट्ठी अमित शाह के नाम

डॉ ओम सुधा मेरे गावं घोरघट से महज एक किलोमीटर की दूरी पर एक गावं है मुरला मुसहरी | यह मुख्य रूप से दलित बस्ती है| एक जाति है मुसहर, जी हाँ मुसहर, जानते तो होंगे ना आप? नहीं बस इसीलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि आजकल आप दलितों के घर का भोज उड़ा रहे हैं तो सोचा पूछ लूँ | […]

रोहित वेमुला और भी है……….

कण कण से अब ये रण होगा भगवा द्वंद अब कम होगा,नीला रण तगण अब होगा,मूलतत्व जब सब होगा,जितने धोखे-मृत किये,सबका हिसाब अब होगा,न होगा भगवा राह में,जब नील क्रांति का बिगुल होगा। – माहे   “रोहित वेमुला” सिर्फ अकेला नाम नही है जो इस साम्राज्यवाद, राजनीति और जातिवाद का शिकार हुआ| आज रोहित एक ऐसे अनंत सफ़र पर जा […]

अयोति थास और तमिल बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान

दो ऐसे विद्वान हुए हैं जिनका देश-काल अलग रहा है मगर फिर भी उन्होंने जाति व्यवस्था से निपटने के लिए लगभग एक जैसा तरीका अपनाया. परंपरागत रूप से शिक्षित उन्नीसवीं सदी के तमिल विद्वान पंडित अयोति थास और बीसवीं सदी के पश्चिमी शिक्षाप्राप्त महाराष्ट्र के बुद्धिजीवी बाबासाहब अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म को ग्रहण कर यह दर्शाया कि यह जाति व्यवस्था […]

आज की स्त्री, कहाँ दबी कुचली है?

  मैं पत्रकारिता की छात्रा रही हूँ| कायदे से कहूँ तो डिग्रीधारी पत्रकार हूँ , जिसने कई पत्रकारिता संस्थानों में अपने डिग्री और लेखन के बल पर कार्य भी किया है | लेकिन हर जगह नौकरी छोड़नी पड़ी । कहीं पर जातिगत मान्यताओं के चलते तो कहीं अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करने के चलते, इनमें से कई जगहें ऐसी भी […]

मायावती और हत्शेपसुत: दो स्त्रियाँ, दो समय और दो धुरियाँ

एक हैंडबैग। एक नकली दाढ़ी । मायावती और हत्शेपसुत की मूर्तियों का हिस्सा बनने से ये दो मामूली सी लगने वाली चीज़े भी डरावने प्रतीकों में बदल जाती हैं। इन दो महिलाओं की मूर्तियों पर समाज  में अभूतपूर्व मात्रा में क्रोध ज़ाहिर किया जा चुका है।  क्या यह गुस्सा इन मूर्तियों की वजह से है , इन मूर्तियों में दर्शाया […]

ज्ञानज्योति सावित्रीबाई फुले -प्रो. हरि नारके

यह आलेख NCERT की 2008 की मेमोरियल लेक्चर सीरीज (स्मारक व्याख्यान श्रंखला) में आयोजित सावित्रीबाई मेमोरियल लेक्चर का एक भाग है| इसके लेखक हैं प्रो हरि नारके., प्रो नारके महात्मा फुले पीठ, पुणे विश्वविद्यालय के निदेशक हैं| वे एक प्रख्यात विद्वान् हैं, जो अब तक 6000 से अधिक व्याख्यान दुनिया के प्रसिद्द विश्वविद्यालयों में दे चुके हैं|  पुणे में महात्मा […]

अब आगे ऐसा करना

अंकित गौतम     ये लौ हैकई तूफ़ानों से लड़ करबचाया है खुद को कई आंधियों सेब्राह्मणवाद की तेज़ाबी बारिश सेउसके आग बरसाते सूरज सेअंधेरी तूफानी रातों सेइसे बुझने न देनाइसे अपना खून-पसीना देनापर जलाए रखना..।

आरक्षण के बारे में बात करना मैंने क्यों बंद कर दिया ?

तेजस हरड एक समय ऐसा था जब मैं आरक्षण का बहुत मुखर तौर पर प्रतिवाद करता था। मैं आरक्षण नीतियों के समर्थन में फेसबुक पर लिंक और स्टेटस अपडेट पोस्ट करता था और जो चर्चा शुरू होती थी उसमें बहुत उत्साह से भाग लेता था। जो मेरी पोस्ट और मेरे आरक्षण समर्थक रुख की निंदा करते थे, बेशक सवर्ण होते […]

राजस्थान उच्च न्यायलय में मनु की मूर्ति:न्याय के मंदिर में अन्याय के प्रतीक को सम्मान ?

हरीश परिहार इंसाफ की उम्मीद पर एक अमानवीय धब्बा है मनु की मूर्ति क्या ऐसी अदालत से इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है जिसके परिसर में इंसाफ की आस में जाने वालों को अन्याय का एक प्रतीक हर वक्त मुंह चिढ़ा रहा हो? राष्ट्र-निर्माता डॉ बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर ने 25 दिसम्बर 1927 के दिन महाराष्ट्र के महाड़ में […]