कबीरपंथ कायम, कबीर गायब

मुसाफिर बैठा   करीब छह सौ साल पहले कबीर धरती पर आकर चले गए, उनके विचारों का प्रभाव जबरदस्त हुआ. सामंती समाज था हमारा तब. हिन्दू धर्म में परम्परा से चलते आ रहे जातीय भेदों, अन्धविश्वासों और बाह्याचारों की जकड़न ने सामान्यजनों का जीना दुश्वार कर रखा था, साथ ही, इसका प्रभाव इतना घना कि बाहर से आई मुस्लिम शासक […]

यहां गाय और सांप मारना मना है! आदमी मारिए!

डॉ ओम सुधा पिछले दिनों हम सबने खबर सुनी कि एक दलित केवल इसलिए पीट-पीट कर मार दिया गया क्योंकि उसने अपने घर में निकले एक विषैले सांप को मार दिया था. पीटकर हत्या करने वालों का तर्क है कि सांप उनके लिए पूज्यनीय है. पिछले दिनों गाय और गोमांस के मुद्दे पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर देने […]

आरक्षण व्यवस्था और इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाने वाले सवर्ण बुद्धिजीवियों से कुछ सवाल

टीकम सियाग   भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था को लेकर आज-कल तथाकथित सवर्ण बुद्धिजीवी वर्ग अपने अपने ढंग से इसकी पुनर्व्याख्या कर रहे हैं, और इससे संबंधित बड़े-बड़े व्याख्यान देते हुए घूम रहे हैं| इनमें कुछ लोग तो यहाँ तक कह रहे है कि आरक्षण व्यवस्था की अब भारत में जरुरत नही है इसको पूर्ण रूप से समाप्त कर […]

ज्ञानज्योति सावित्रीबाई फुले -भाग-2 -प्रो. हरि नारके

यह आलेख NCERT की 2008 की मेमोरियल लेक्चर सीरीज (स्मारक व्याख्यान श्रंखला) में आयोजित सावित्रीबाई मेमोरियल लेक्चर का एक भाग है| इसके लेखक हैं प्रो हरि नारके., प्रो नारके महात्मा फुले पीठ, पुणे विश्वविद्यालय के निदेशक हैं| वे एक प्रख्यात विद्वान् हैं, जो अब तक 6000 से अधिक व्याख्यान दुनिया के प्रसिद्द विश्वविद्यालयों में दे चुके हैं|  पुणे में महात्मा […]

स्त्री गरिमा को रौंदती संस्कृति

16 दिसंबर वर्ष 2012 को दिल्ली में 23 वर्ष की युवती के साथ चलती बस में गैंगरेप की घटना से, टी.वी. चैनलों पर लम्बे समय तक, औरतों की सुरक्षा को लेकर, एक अजीब सा शोर मचा था| जिसके कारण लोगों में भयंकर रोष और गुस्से का संचार हुआ| देश के हर शहर में लोग सड़कों पर मोमबत्तियां जलाकर दोषियों को […]

डॉ. अम्बेडकर द्वारा स्थापित राजनीतिक प्रवेश प्रशिक्षण विद्यालय: एक भूली हुई दास्ताँ

बाबासाहेब अम्बेडकर (१८९१-१९५६) की १२५ वीं जयंती केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से धूमधाम से मनाई गई, यद्यपि,  इस उमंग और उत्साह से भरे माहौल में डॉ. अम्बेडकर से सम्बंधित आज तक उपेक्षित रहे ऐसे कुछ मुद्दे इस वर्ष भी नदारद दिखे, जिनकी आज के समय में अत्यन्त आवश्यकता है, […]

गोहाना, दुलीना, मिर्चपुर… जुल्म की कहानी जारी है…

अरविंद शेष (Arvind Shesh) अप्रैल, 2010 में हरियाणा के हिसार जिले में मिर्चपुर गांव में बाल्मीकी बस्ती के एक कुत्ते के भौंक देने के बाद बाल्मीकि बस्ती पर वहां के जाटों ने हमला कर दिया था और कई घर फूंक डाले थे। उसमें एक विकलांग लड़की सुमन को जिंदा जला दिया गया और उसके पिता को भी। उस घटना के […]

भारतीय कैंपसों (परिसरों) में जातिवाद और जाति की कहानी – I

टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) मुंबई में, 22 दिसंबर 2014 को हुए अम्बेडकरवादी छात्र संघ द्वारा आयोजित वार्ता पर उनका भाषण है , इस भाषण को  वल्लिंमल करुणाकरण द्वारा लिप्यंतरित किया गया है. मेरा नाम अनूप है और मैं भारतीय कैम्पसों में दलित विद्यार्थियों के मुद्दों पर लगभग 20 सालों से काम कर रहा हूँ, पहले एक विद्यार्थी के रूप में और […]

सैराट: मराठी सिनेमा की नई लहर

दिव्येश मुरबिया नागराज मंजुले, उनकी नवीनतम फिल्म सैराट के लिए मराठी फिल्म निर्देशक के तौर पर काफी मशहूर हुए हैं लेकिन उनको इस फिल्म से कहीं अधिक श्रेय जाता है. उन्होंने एक लघु फिल्म पित्सुल्या के साथ अपना कैरियर शुरू किया था जिसने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलवाया. उन्होंने फैंड्री के साथ मराठी फिल्म उद्योग में शुरूआत किया था, जो व्यापक […]

एक दलित की चिट्ठी अमित शाह के नाम

डॉ ओम सुधा मेरे गावं घोरघट से महज एक किलोमीटर की दूरी पर एक गावं है मुरला मुसहरी | यह मुख्य रूप से दलित बस्ती है| एक जाति है मुसहर, जी हाँ मुसहर, जानते तो होंगे ना आप? नहीं बस इसीलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि आजकल आप दलितों के घर का भोज उड़ा रहे हैं तो सोचा पूछ लूँ | […]