पितृसत्ता, नारीवाद और बहुजन महिलाएं

जूपाका सुभद्रा (Joopaka Subadra)   जूपाका सुभद्रा से बातचीत का यह (पहला) भाग भारत नास्तिका समाजम और साइंटिफिक स्टूडेंट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित एक बातचीत में उन्होंने रखा था.   आज मैं जिस विषय पर बात करने जा रही हूँ, वह है ‘पितृसत्ता, नारीवाद और बहुजन महिलाएँ’! नारीवादियों के अनुसार, नारीवाद, महिलाओं और पुरुषों के बीच, समानता को लेकर है, और, समानता के लिए है. वे कहती हैं, सभी महिलाएं […]

क्यूँकि मैं आदिवासी हूँ!

Surya Bali

डॉ सूर्या बाली “सूरज धुर्वे” (Dr. Surya Bali “Suraj Dhurve”) “हे सन वेक अप“ कानों में डैडी की आवाज़ गूंजी मुँह से अपने आप निकला- गुड मार्निंग डैड, गुड मार्निंग मॉम! यही है मेरा सनातनी सेवा जोहार क्यूँकि मैं आदिवासी हूँ! आज संडे है सुबह से ही घर में हलचल है सब लोग जल्दी में हैं, तैयार हो रहे हैं […]

अंतर्द्वंद से जूझती उत्तर भारत की समाजवादी राजनीति

Akash Kumar Rawat

आकाश कुमार रावत (Akash Kumar Rawat) एक विचार अथवा वैचारिक राजनीति तब ज्यादा कमज़ोर हो जाती है, जब उस विचार को जन्म देने वाले और पोषित करने वाली शक्तियाँ ही उस पर अपना विश्वास छोड़ देती हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी व्यक्ति को अपने विचार का प्रचार प्रसार करने और दूसरों से भी यह उम्मीद करना कि […]

क्या पसमांदा शब्द पर पुनः विचार करने की ज़रुरत है?

khalid anis ansari

खालिद अनीस अंसारी (Khalid Anis Ansari) इधर कुछ दिनों से एक व्हाट्सएप ग्रुप में पसमांदा शब्द पर चल रही भीषण बहसों को देख रहा था. ग्रुप में कुछ लोगों की राय थी कि पसमांदा शब्द पर दोबारा सोचने की ज़रुरत है क्योंकि यह पिछड़ेपन को दर्शाता है और ऐसी मानसिकता के साथ विकास संभव नहीं है. मैं अपने सीमित अनुभव […]

शांति स्वरूप बौद्ध: एक उत्कृष्ट बहुजन योद्धा

मनोज अभिज्ञान (Manoj Abhigyan) 06 जून, 2020 को मेरे मोबाइल पर एक दुखद समाचार आया कि बौधाचार्य शांति स्वरूप बौद्ध नहीं रहे। वह 71 वर्ष के थे। पिछले कई दिनों से वह दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कोरोना वायरस की बीमारी से लड़ रहे थे। जीवन में आने वाली सभी परेशानियों और चुनौतियों से निपटने वाला योद्धा […]

मीडिया मैनेजमेंट बनाम महामारी मैनेजमेंट- कौन किस पर भारी

Mohammad Javed

मोहम्मद जावेद अलिग (Mohammad Javed Alig) देश में कोरोनावायरस की दस्तक देने से लेकर आजतक गोदी मीडिया महामारी का मुकाबला मीडिया मैनेजमेंट करने की कोशिश में जी-जान से जुटा हुआ है. आखिर जुटे भी क्यों न क्योंकि यही मौके होते हैं गोदी पत्रकारों के अपने नंबर बढ़ाने के. भारत का गोदी मीडिया इस जानलेवा महामारी का मुकाबला मीडिया मैनेजमेंट से […]

उर्दू अदब के पसमांदा सवाल

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) मेरा भाई अल्तमश मुझे आज कल बहुत से नए शायरों से रूबरू करा रहा है. यह शायर इतने प्रगतिशील और क्रांतिकारी हैं कि ये “ख़ुदा की ज़ात” पर भी शेर लिखने से नहीं डरते. लेकिन इन में से किसी का भी शेर ‘जाति व्यवस्था’ के ख़िलाफ़ मैंने नहीं पढ़ा है. ऐसा कैसे मुमकिन है कि वह […]

गुरु नानक देव और धार्मिक-सामाजिक क्रांति

Sanjay Shraman Jothe 3 7 19

संजय जोठे (Sanjay Jothe) गुरु नानक इस देश में एक नयी ही धार्मिक-सामाजिक क्रान्ति और जागरण के प्रस्तोता हैं। पूरे मध्यकालीन संत साहित्य में जिन श्रेष्ठताओं का दर्शन बिखरे हुए रूप में होता है उन सबको नानक एकसाथ एक मंच पर ले आते हैं। उनकी परम्परा में बना गुरु ग्रन्थ साहिब इतना इन्क्लूसिव और ज़िंदा ग्रन्थ है कि उसकी मिसाल […]

हिंदी, ब्राह्मण के हाथ में औज़ार और पंजाब- एक बहुजन नज़रिया

गुरिंदर आज़ाद (Gurinder Azad) खबर पंजाब से है और अच्छी है. बठिंडा-फरीदकोट हाईवे पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखे राह-ईशारा तख्तियों पर रंग पोत दिया गया है. इन तख्तियों पर या तो पंजाबी भाषा में लिखे शहर के नाम अंग्रेजी और हिंदी में लिखे नाम के नीचे थे या फिर पंजाबी में लिखे ही नहीं गए. हिंदी-अंग्रेजी में लिखे नामों […]

मैं एक पीडिता की मौत नहीं मरूंगी, मैं एक अग्रणी (लीडर) की तरह जीना चाहती हूँ।

मनीषा मशाल दलित महिलाओं की आवाज को किसी भी कीमत पर उठाने के लिए कटिबद्ध हूँ. क्योंकि यदि हम इन स्वरों को बाहर नहीं आने देंगे, तो हम इस दुःख को समाप्त करने के उपाय नहीं खोज सकते. क्या यह बहुत कठिन होगा? हाँ. मुझें अनेकों चुनौतियों, जोखिमों और धमकियों का सामना भी करना होगा. परन्तु मुझे किसी का भी […]