खालिद अनीस अंसारी (Khalid Anis Ansari) इधर कुछ दिनों से एक व्हाट्सएप ग्रुप में पसमांदा शब्द पर चल रही भीषण बहसों को देख रहा था. ग्रुप में कुछ लोगों की राय थी कि पसमांदा शब्द पर दोबारा सोचने की ज़रुरत है क्योंकि यह पिछड़ेपन को दर्शाता है और ऐसी मानसिकता के साथ विकास संभव नहीं है. मैं अपने सीमित अनुभव […]