कुंदन मकवाना (Kundan Makwana) बहुजन नायक मान्यवर साहब कांशीराम, एक व्यक्ति जिनकी आर्थिक स्थिति अन्य दलितों से काफी ठीक थी. श्रेणी एक की सरकारी नौकरी पर रहे, लेकिन आम्बेडकवादी विचारधारा को जन जन तक, घर घर तक फ़ैलाने के लिए पैदल व् साईकिल पर यात्राएँ कीं. वे अपना घर-परिवार, अपनी नौकरी सब छोड़ कर निकल पड़े थे. पुणे में ही […]
जनविरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का मसौदा सिरे से ख़ारिज कर देना चाहिए
शिक्षण संघर्ष समन्वय समिति (A Co-ordination Committee on Draft NEP2019) Contact Info.: Address- c/o Harishchandra Sukhdeve, C-4, Mulik Complex, Somalwada, Wardha Road, Nagpur – 440 025 Phone: 7276979763 Email: harishsukhdeve@outlook.com नागपुर, 5 सितम्बर, 2019 मान. सांसद, नई दिल्ली आदरणीय महोदया / महोदय, विषय: जनविरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का मसौदा सिरे से ख़ारिज कर लेना चाहिए […]
बहुजन समाज और मीडिया
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) 21वीं सदी में अगर बहुजन समाज (ST, SC, OBC, Minorities) 85% आबादी होने के बाद भी भारत का हुक्मरान नहीं बन सका और दूसरी तरफ अल्पसंख्यक ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर (क्षत्रिय) सिर्फ 15% आबादी के बल पर ही सत्ता में हैं; तो इसका एक बहुत बड़ा कारण है, ‘मीडिया’। लेकिन बहुजन समाज अपने संघर्ष के शुरुआती दौर […]
भारतीय इतिहास के क्रांतिसूर्य, महामानव बिरसा मुंडा
डॉ सूर्या बाली ‘सूरज धुर्वे’ (Dr. Surya Bali ‘Suraj Dhurve) भारतीय इतिहास में सूर्य के समान अलौकिक, प्रतिभाशाली, महानायक और परमवीर भगवान बिरसा मुंडा का आज जन्मदिन है। आज के ही दिन यानी 15 नवंबर 1875 को झारखंड के रांची जिले के उलीहाटा गांव में आपका धरती पर अवतरण हुआ था। आपकी माता का नाम करमी हातू और पिता का […]
गुरु नानक देव और धार्मिक-सामाजिक क्रांति
संजय जोठे (Sanjay Jothe) गुरु नानक इस देश में एक नयी ही धार्मिक-सामाजिक क्रान्ति और जागरण के प्रस्तोता हैं। पूरे मध्यकालीन संत साहित्य में जिन श्रेष्ठताओं का दर्शन बिखरे हुए रूप में होता है उन सबको नानक एकसाथ एक मंच पर ले आते हैं। उनकी परम्परा में बना गुरु ग्रन्थ साहिब इतना इन्क्लूसिव और ज़िंदा ग्रन्थ है कि उसकी मिसाल […]
मैं तुम्हें मैली मिट्टी में बदल सकती हूं… (धम्म दर्शन की कवितायेँ)
धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam) 1. जननी मैं जननी इस संसार की आज तलाश में अपनी ही पहचान की अपने ही पेट से चार कंधों के इन्तजार तक!! पहचान मिली भी तो आश्रित रहने की बचपन में पिता पर जवानी में पति पर और बुढ़ापे में बेटे पर पूरी उम्र आश्रित अपनी ही पैदा की गई जात पर […]
परिवर्तन के मायने और मान्यवर कांशी राम साहब
कुंदन मकवाना (Kundan Makwana) बहुजन नायक मान्यवर साहब कांशीराम मतलब गौतम बुद्ध से लेकर संत गुरु रविदास, कबीर से होकर ज्योतिबा फुले, शाहूजी महाराज, और बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर के सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तन के आन्दोलन का निचोड़ है. जरा सोचकर देखिये, बहुजन समाज के एक सामान्य परिवार में जन्मा व्यक्ति, अपने ऐतिहासिक संकल्प, त्याग और मेहनत की […]
‘रविदास मंदिर’ मामला केवल मंदिर मामला नहीं था
मनोज सिंह शोधार्थी, टीना कर्मवीर (Manoj Singh, Teena karamveer) भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू होता है जहाँ से धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा परिलक्षित होती है. इस अवधारणा की विरासत हम रविदास और कबीर दास की विचारधारा में खोज सकते हैं. जहाँ पर उन्होंने राजनीति से परे रखा तथा सर्व धर्म समभाव की बात की तथा निर्गुण भक्ति की अवधारणा […]
रावेन और रावण के भ्रम में उलझता कोइतूर समाज
डॉ सूर्या बाली ‘सूरज धुर्वे’ (Dr. Surya Bali ‘Suraj Dhurve) किसी भी संस्कृति में उसके नायकों और प्रतीकों का सम्मान व् स्वागत उस संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए आवश्यक होता है. इन्ही नायकों को जीवित रखने के लिए तरह तरह के आयोजन, पर्व और तीज त्योहारों का आयोजन किया जाता है. ऐसे ही एक पौराणिक कथानक रामायण […]
साहब कांशी राम का मिशन अधूरा, कैसे हो पायेगा पूरा ?
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) इस ९ अक्टूबर को साहब कांशी राम का १३वां परिनिर्वाण दिवस है। उनके जाने के बाद, जो लहर उन्होंने शुरू की; आज वो किस हालत में है ? बहुजन समाज को इस देश के हुक्मरान बनाने का जो सपना उन्होंने देखा था, क्या वो पूरा हो सका ? अगर नहीं, तो फिर उसके क्या कारण […]