वीरांगना फूलन देवी का स्मरण प्रतिदिन करना चाहिए

रजत कुमार सोनकर (Rajat Kumar Sonkar) हमारे दलित बहुजन समाज में बहुत से समाज सुधारक और जाति-विरोधी आंदोलनकारी हुए जिनके संघर्ष और विजय की अनगिनत कहानियाँ हम जानते है। इन सघर्षो की सबसे रोचक बात यह रही है कि इसमें बहुजन महिलाओं और पुरुषों दोनों ने ही कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया है। ये एक गर्व का विषय है. […]

2021 में बहुजन किस धर्म की और रुख़ करेंगे?

satvendra madara

सतविंदर मनख (Satvendar Manakh) 2021 में पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों का धर्म क्या होगा? हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन? 2021 में अगली जनगणना होने जा रही है। इसमें पिछड़े, दलित, आदिवासी(OBC, SC, ST) क्या फिर से अपने को “हिन्दू” लिखवाएंगे? या जिस धर्म ने उन्हें शूद्र, अछूत, ग़ुलाम बनाया, वो इसे छोड़ “इस्लाम, ईसाई, सिख, बौद्ध या जैन” धर्म अपनाएंगे […]

विमुक्त माह- मुद्दों की आवाज़, संघर्ष का जश्न

सन 1952 से ही दिन 31 अगस्त विमूक्त दिन के रूप में मनाया जाता आ रहा है. यह दिन इसीलिए ज़रूरी है क्यूंकि इस दिन, क्रिमिनल ट्राइब एक्ट (CTA) 1871 के तहत, विमुक्त जनजातियों (Denotified Tribes) को “क्रिमिनल” यानी अपराधी होने के लांछन से मुक्त किया गया था. यूं कहिये कि इस दिन ख़ानाबदोश और विमुक्त जनजातियों को इस लांछन […]

टीना डाबी के दफ्तर-प्रवेश का ब्राह्मणी कर्मकांड बनाम वैज्ञानिक चेतना की कसौटी

अरविंद शेष (Arvind Shesh) बेशक इसरो के चीफ वैज्ञानिक माधवन नायर या वैज्ञानिक राधाकृष्णन या वैज्ञानिक के. शिवन के मुकाबले आइएएस टीना डाबी की जिम्मेदारी ज्यादा है अंधविश्वासों के खिलाफ वैज्ञानिक चेतना को निबाहने की, उसे मजबूत करने की! इसरो के वैज्ञानिक माधवन नायर या राधाकृष्णन अगर किसी भी अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के पहले बालाजी तिरुपति या किसी मंदिर […]

यहाँ एक तस्वीर है

[smartslider3 slider=2] अनु रामदास (Anu Ramdas) कुछ समय पहले की बात है जब मैं एक शूद्र संत-कवि सरलादास द्वारा लिखित उड़िया महाभारत के अनुवाद की तलाश कर रही थी. द शेयर्ड मिरर  पर सरला की गंगा पर केंद्रित एक अंश को पोस्ट करने के लिए उत्सुक थी. इसलिए मैं पुस्तकालय और इंटरनेट पर इन पर हुई खोजों को इकठ्ठा करने […]

एंटी-कास्ट पॉलिटिक्स को समझने में उदारवादियों के भीतर दर्शन की कंगाली

ओमप्रकाश महतो (Omprakash Mahato) ऐसे सामाजिक वैज्ञानिक भी हैं जो केवल कागज़ों-किताबों के माध्यम से या सम्मेलनों और सेमिनारों में भाग लेकर या समाज का दूर से अवलोकन आदि करके ही जाति पर अपने विचार विकसित करते हैं. जबकि पाठ्यपुस्तकों को पढ़ना एक पारंपरिक तरीका है, कुछ विद्वान बॉलीवुड फिल्में देखने, समाचार पत्र पढ़ने, न्यूज़-रूम स्टूडियो में बहस देखकर, अपने […]

प्रतिनिधित्व की आवश्यकता: भारत में एक आदिवासी महिला कुलपति

स्वप्निल धनराज (Swapnil Dhanraj) आखिरी बार कब भारतीय अकादमिया में एक जनजातीय समुदाय से आने वाली महिला की सफलता की कहानी का जश्न मनाया गया? यदि हम इस बारे में सोचते हैं कि भारतीय शिक्षा प्रणाली ने दलितों, आदिवासियों और अन्य हाशिए के समुदायों के मुद्दों से कैसे निपटा है, तो ऐसा प्रतीत होता है कि उन मुद्दों को खराब […]

कोरोना, राहत राशि और दलित मज़दूर महिलाएं- एक रिपोर्ट

suman devathiya

सुमन देवठिया (Suman Devathiya) देश में ही नहीं विश्वभर में सभी इस कोरोना की माहमारी से जूझ रहे हैं और सबसे ज्यादा मज़दूर, गरीब, दलित व महिलाओं को आर्थिक व मानसिक पीड़ा झेलनी  पड़ रही है. इस महामारी के संकट में केन्द्र व राज्य सरकारों ने इन तबको से आते लोगों को नगद राहत राशि देने की घोषणाएं की जिसमें […]

सफाई कर्मचारीयों के मुद्दे क्या अदृश्य हैं जो व्यवस्था को नज़र नहीं आते?

क्रांति खोड़े (Kranti Khode) आज हमारे देश के साथ-साथ कई अन्य देश भी कोरोना वायरस कोविड 19 वैष्विक महामारी से जुझ रहे हैं. इस महामारी की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई. 31 दिसंबर को वुहान में प्रथम कोरोना वायरस पॉजिटिव मामला दर्ज हुआ. WHO ने इस बिमारी को महामारी घोषित किया. चीन के बाद इस महामारी ने इटली, […]

‘ना तो मैं तुम्हारा आंकड़ा हूँ, ना ही कोई वोट बैंक हूँ’: सामाजिक कार्यकर्ता और समाजशास्त्री अभय खाखा की याद में

View Post चित्रांगदा चौधुरी (Chitrangada Choudhury), अनिकेत आगा (Aniket Aga) बात 18 मार्च 2015 की है. झारखंड के लातेहर जिले के बरवाडीह प्रखंड-कार्यालय के नजदीक लगभग 60 आदिवासी पुरुषों ने 2013 के ‘भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास, पुनर्स्थापन अधिनियम’ में संशोधन के उद्देश्य से लाये गये मोदी सरकार के विधेयक की प्रतियों पर खुले में […]