लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) आप को लगता होगा कि मुस्लिम समाज मे लोग तक़लीद (अंधभक्ति) सिर्फ अपने मसलक (रास्ता) के उलेमा की करते हैं. अगर आप उनके मसलक के उलेमाओं के जातिवादी सोच के बारे में कुछ बोलेंगे तो वह आप के पीछे डंडे ले कर पड़ जाएंगे. पर मेरा अपना अनुभव है कि देवबंदी, बरेलवी, अहले-हदीस आदि मसलक के […]
हाथरस घटना- मांगने से इंसाफ कब मिला है यहाँ
सतविंदर मनख (Satvinder Manakh) कुछ ही हफ्ते पहले, 14 सितंबर, 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में – 19 साल की मनीषा वाल्मीकि का 4 सवर्ण ठाकुर जाति के लड़कों ने बलात्कार किया। 29 सितंबर, 2020 को उस बच्ची की दर्दनाक मौत हुई। मनीषा के बलात्कार और हत्या काण्ड ने, आज 21वीं सदी में भी सवर्णों और खासकर ठाकुरों […]
हाथरसः तोड़नी होगी अन्याय की असली ज़मीन
बी. शारदा (B. Sharda) अन्याय के प्रतिकार के लिए शायद ‘अन्याय’ ही रास्ता है, तभी एक न्याय व्यवस्था उभर कर आएगी। अन्याय क्या है, यह कौन बताएगा? अन्याय की समझ सबके भीतर अपने जीवन के कटु अनुभवों से आती है। खासतौर पर तब जब व्यक्ति उस बात की सजा पाता है जो अपराध उसने किया ही नहीं। मंदिर आन्दोलन भारतीय […]
मंजिल-ए-मक़सूद मान्यवर कांशी राम को याद करते हुए
गुरिंदर आज़ाद (Gurinder Azad) एक बार कांशी राम साहेब कार में अपने सहयोगियों के साथ कहीं जा रहे थे. उनकी तबियत जरा नासाज़ थी. एक सहयोगी ने शायद साहेब को रिझाने के लिए कहा, ‘साहेब, कहिये, क्या चाहिए आपको? आप जो चाहोगे मैं वही पेश करूंगा आपके लिए.’ साहेब ने कहा, ‘क्या, सच में?’. ‘जी बिलकुल’, जोशीला जवाब आया. ‘तो मुझे कहीं से समय […]
बलात्कार ही तो हुआ है, तो क्या हुआ
सुरजीत गग (Surjit Gag) बलात्कार ही तो हुआ है तो क्या हुआ इंदिरा गाँधी थोड़े न मरी है जो सरकारी शह परकत्लेआम की इजाज़त दे दें! वह कौन-सा उस मनमोहन सिंह की बेटी थी जो कहता था-मैं भी बेटियों वाला हूँ! यहाँ तो ऐसे ही चलता है यहाँ तो ऐसे ही चलेगा जितनी मर्ज़ी कैंडलें फूंक लो जितनी मर्ज़ी छाती पीट […]
भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दो कोइतूर महानायक बाप-बेटे
डॉ. सूर्या बाली ‘सूरज धुर्वे’ (Dr. Suraj Bali ‘Suraj Dhurve’) भारत का दिल कहे जाने वाले मध्य भारत के प्राचीन गोंडवाना की माटी ने हजारों वीर सपूतों को जन्म दिया है जो देश की आन, बान और शान के लिए कुर्बान हो गए हैं. उसी गोंडवाना की माटी में पैदा हुए दो वीर सपूतों का आज बलिदान दिवस है. वैभवशाली […]
‘कब तक मारे जाओगे’- वैचारिक आंदोलन का निर्माण करती कविताएँ
आर. डी. आनंद (R. D. Anand) युवा कवियों में बहुख्यातिप्राप्त कवि नरेंद्र वाल्मीकि द्वारा संपादित कविता-संग्रह “कब तक मारे जाओगे” वर्ष 2020 के जुलाई माह में सिद्धार्थ बुक्स, दिल्ली द्वारा प्रकाशित होकर हमारे हाथों में हैं. पुस्तक के प्रथम फ्लैप पर डॉ. जय प्रकाश कर्दम और द्वितीय पर डॉ. कर्मानंद आर्य की महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ हैं. यह पुस्तक 240 पृष्ठों में […]
करम पर्व: प्राकृतिक दर्शन और सामुदायिक सहभागिता का महापर्व
डॉ. सूर्या बाली ‘सूरज धुर्वे’ (Dr. Suraj Bali ‘Suraj Dhurve’) करम पर्व प्रकृति को संरक्षित और समृद्ध करने के साथ साथ कोइतूर जीवन को गति देने वाला त्योहार है. यह कोया पुनेमी1 पाबुन2 भादों उजियारी पाख की एकादशी और उसके आसपास मनाया जाता है. चूंकि यह उजियारी पाख का पर्व है इसलिए इसे पाबुन कहते हैं. करम पर्व यानि कर्मा त्यौहार […]
एक समाज जो बिस्तर पर स्वीकार्य किन्तु तथाकथित सभ्य समाज में नहीं
क्रांति खोड़े (Kranti Khode) भारतीय सामाजिक व्यवस्था जो कि चार्तुवर्ण पर आधारित है. यह मनुवादी चातुर्वण व्यवस्था कहती है कि ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैष्य, शुद्र जो जिस जाति में पैदा हुआ वह उस जाति का जाति आधारित काम करेगा. उनका काम ऊपर के तीनों समाजों की सेवा करना है. यह व्यवस्था आज भी मजबूती से अपने पैर जमाए हुए है. शुद्र […]
1980 मुरादाबाद मुस्लिम नरसंहार: भाजपा ही मुस्लिम-विरोधी नहीं बल्कि सेकुलर और लेफ्ट का अतीत भी रक्तरंजित है
मोहम्मद जावेद अलिग (Mohammad Javed Alig) भारत में सांप्रदायिक दंगों का एक लंबा इतिहास रहा है. हालाँकि इन दंगों को नरसंहार कहना अधिक उचित होगा. ये सिलसिला पुराना है. अंग्रेजों द्वारा भारत को ‘सँभालने’ में सवर्ण तबके, खासतौर पर ब्राह्मणों का विशेष योगदान रहा है. ब्राह्मणवाद की ‘साम-दाम-दंड-भेद’ की नीतियों से ही “फूट डालो राज करो’ की नीति ने अपने […]