संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) भगवान बुद्ध ने अपने आध्यात्मिक अनुशासन की रचना करते हुए जिस अष्टांग मार्ग को बुना है, उसमें सम्यक दृष्टि सबसे ऊपर आती है। उसके बाद जो सात चरण हैं वे इसी सम्यक दृष्टि पर ही आधारित हैं। इसी श्रमण परंपरा में निगंठनाथ सुत्त भगवान महावीर भी आते हैं जो कि श्रमण जैन परमपरा के […]
ज्योतिबा फूले: भारतीय आधुनिकता के पिता
संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) ज्योतिबा फुले के जन्मदिन पर आप एक बात गौर से देख पाएंगे। गैर बहुजनों के बीच में ही नहीं बल्कि बहुजनों अर्थात ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लोगों के बीच भी ज्योतिबा फुले को उनके वास्तविक रूप में पेश करने में एक खास किस्म की कमजोरी नजर आती है। ओबीसी अनुसूचित […]
अछूतों की बस्ती
राहुल सोनपिंपले (Rahul Sonpimple) बीफ की दो बोटियाँ तोड़ के आधा गीला शरीर घर के उस कोने की तपी दिवार पे रख के बीड़ी के दो कश लगाना सुकून भरा तो रहा होगा हम्म हम्म करते हुए बच्चों की बस आधी बात सुनके हर रोज़ गहरी नींद में डूब जाना आदत थी? या उन् निक्कमे साइकिल रिक्शा के दो […]
कोविड-19 : योग्यता के मिथक को तोड़ता हुआ भीलवाड़ा
नीरज ‘थिंकर’ (Neeraj Thinker) पूरी दुनिया जब कोरोना जैसी भयंकर वैश्विक महामारी से जूझ रही है तो उसमें भारत देश भी शामिल है जो इस महामारी की चपेट में आ चुका है, भारत में पहला केस केरल राज्य में 30 जनवरी 2020 को दर्ज किया गया और 3 फ़रवरी तक यह संख्या बढ़कर तीन हो गई, वायरस से संक्रमित सभी […]
कोरोना के बाद के अकल्पनीय संसार के लिए तैयार रहें
कुछ ज़रूरी बातें जसपाल सिंह सिद्धू (Jaspal Singh Siddhu चीन ने एक मोबाइल एप तैयार की है जिसका मकसद कोरोना वायरस के पीड़ितों के ऊपर नियंत्रण करना है. यह एप मोबाइल धारकों की सारी जानकारी सरकार को भेजती है. इस वक़्त यह एप कोरोना की रोकथाम के लिए कारगर भी साबित हो सकती है लेकिन इसके इस्तेमाल से जीवन की […]
1857 की क्रांति में वाल्मीकि समाज का योगदान- पुस्तक समीक्षा
वाल्मीकियों के अदम्य साहस की साक्षी पुस्तक – 1857 की क्रांति में वाल्मीकि समाज का योगदान दीपक मेवाती ‘वाल्मीकि’ (Deepak Mevati ‘Valmiki’) पुस्तक का नाम – 1857 की क्रांति में वाल्मीकि समाज का योगदान लेखक – डॉ.प्रवीन कुमार कुल पृष्ठ – 80 (अस्सी) मूल्य – 60 (साथ रूपये) प्रथम संस्करण – 2019 प्रकाशक – कदम प्रकाशन दिल्ली – 110086 जो […]
ब्राह्मण – दलितों के ‘सच्चे उद्धारक’
व्यंग्य नीरज ‘थिंकर’ (Neeraj Thinker) बात जब भी सामाजिक उत्थान की आती है जिसमें खासकर ब्राह्मणवाद के ज़रिये हाशिये पर धकेल दिए गए वंचित समाज की स्थिति में सुधार की बात हो तो ब्राह्मण वर्ग से आने वाला एक तबका एक दम इसमें कूद पड़ता है. समझ में यें नहीं आता है कि इनको सामाजिक परिवर्तन की ज्यादा उत्सुकता या […]
5 अप्रैल की रात को 9 बजे, मैं…
मौलिकराज श्रीमाली (Maulikraj Shrimali) नीली आग की लपटें ————————- तुम्हारे आंसू गैस के गोलों से हमारी आँखे जल रही है और जल रहे है जाति-धर्म के हिंसा में हमारे घर भूख से जल रहा है वो पेट जो इक्कीस दिन के बाद… चल के अपने घर को पहुंचा है और जल रहा है मेरी बहन का […]
कोरोना का ख़तरा और पसमांदा समाज की ज़मीनी हकीक़त
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) 10 गुणा 12 के 2-3 कमरों का एक छोटा सा घर. उस घर में दादा-दादी, मियां-बीवी और 3 बच्चे रहते हैं. मऊ के पसमांदा मुस्लिम घरों की आमतौर से यही संरचना होती है. इसका मतलब है कि एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों में कोरोना वायरस के वाहक़ (carriers) मौजूद हैं. पोते-पोतियों से घिरे रहने के […]
कब तक ढोते रहें मैला? और क्यूँ ढोयें??
धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam) कौन हैं ये सफाई कर्मचारी? सफाई कर्मचारी, मतलब वे लोग जो घरों में टॉयलेट/शौचालय साफ करने आते हैं, घरों से कूड़ा लेके जाते हैं, गली-सड़क पर झाड़ू लगाते हैं, और वो भी जो बड़े-बड़े कूड़े के ढेर से कूड़ा गाड़ी में भरकर ले जाते हैं। किसी भी आम इंसान को ये काम एक बहुत […]