जाति, और भारतीय कानूनी व्यवस्था की विफलता

रचना गौतम (Rachna Gautam) प्रत्येक सभ्य समाज में समाज के समुचित शासन के लिए कानून की अनिवार्य आवश्यकता होती है. मनुष्य होने के कारण लोग तर्कसंगत होते हैं और उस दिशा में आगे बढ़ते हैं जो उनके हित को सर्वोत्तम रूप से पूरा कर सके, और विभिन्न रुचियों वाले कई लोगों की एक साथ उपस्थिति के कारण हो सकता है […]

अर्ध सत्य और समानांतर सिनेमा के आधे-अधूरे सत्य

राहुल गायकवाड (Rahul Gaikwad) तो उस दिन, मैं बस यही सोच रहा था कि इस समाज में भ्रष्टाचार विरोधी भाषणबाजी कैसे और कब से चलन में आई। मुख्यधारा के मीडिया द्वारा समर्थित अन्ना हजारे और केजरीवाल की जोड़ी के नेतृत्व में ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन अभियान’ के दौरान हमने इसे बदसूरती के पूर्ण चरम पर देखा। अचानक, मुझे फिल्म ‘अर्ध सत्य’ […]

फेडरल सिस्टम वेंटीलेटर पर है

निखिल कुमार (Nikhil Kumar) तकनीकी रूप से भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है जिसे अंग्रेजों से आज़ाद करवाने के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया है. वे लोग अलग अलग क्षेत्रों से और विविध पृष्ठभूमियों से थे. विरोध की कई अलग अलग धाराएं बह रही थीं. सभी धाराओं में भले ही गोरों के बस्तिवाद का विरोध था लेकिन […]

इसके या उसके ही नहीं, ‘कबीर’ सबके हैं

शैली किरण (Shelly Kiran) सुकरात ने एक बार कड़े स्वर में पूछा था- आप किस तरह मुझसे इस नगर के लिए उपचार की उम्मीद रखते हैं? क्या मुझे एंथेन वासियों से तब तक लड़ना चाहिए जब तक वे सुधर न जायें जैसे कि किसी चिकत्सक ने उन्हें सुधारा हो या फिर मैं उनका सेवक बन जाऊँ और उनका मनोरंजन करूँ? […]

हाथरसः तोड़नी होगी अन्याय की असली ज़मीन

बी. शारदा (B. Sharda) अन्याय के प्रतिकार के लिए शायद ‘अन्याय’ ही रास्ता है, तभी एक न्याय व्यवस्था उभर कर आएगी। अन्याय क्या है, यह कौन बताएगा? अन्याय की समझ सबके भीतर अपने जीवन के कटु अनुभवों से आती है। खासतौर पर तब जब व्यक्ति उस बात की सजा पाता है जो अपराध उसने किया ही नहीं। मंदिर आन्दोलन भारतीय […]

टीना डाबी के दफ्तर-प्रवेश का ब्राह्मणी कर्मकांड बनाम वैज्ञानिक चेतना की कसौटी

अरविंद शेष (Arvind Shesh) बेशक इसरो के चीफ वैज्ञानिक माधवन नायर या वैज्ञानिक राधाकृष्णन या वैज्ञानिक के. शिवन के मुकाबले आइएएस टीना डाबी की जिम्मेदारी ज्यादा है अंधविश्वासों के खिलाफ वैज्ञानिक चेतना को निबाहने की, उसे मजबूत करने की! इसरो के वैज्ञानिक माधवन नायर या राधाकृष्णन अगर किसी भी अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के पहले बालाजी तिरुपति या किसी मंदिर […]

यहाँ एक तस्वीर है

[smartslider3 slider=2] अनु रामदास (Anu Ramdas) कुछ समय पहले की बात है जब मैं एक शूद्र संत-कवि सरलादास द्वारा लिखित उड़िया महाभारत के अनुवाद की तलाश कर रही थी. द शेयर्ड मिरर  पर सरला की गंगा पर केंद्रित एक अंश को पोस्ट करने के लिए उत्सुक थी. इसलिए मैं पुस्तकालय और इंटरनेट पर इन पर हुई खोजों को इकठ्ठा करने […]

एंटी-कास्ट पॉलिटिक्स को समझने में उदारवादियों के भीतर दर्शन की कंगाली

ओमप्रकाश महतो (Omprakash Mahato) ऐसे सामाजिक वैज्ञानिक भी हैं जो केवल कागज़ों-किताबों के माध्यम से या सम्मेलनों और सेमिनारों में भाग लेकर या समाज का दूर से अवलोकन आदि करके ही जाति पर अपने विचार विकसित करते हैं. जबकि पाठ्यपुस्तकों को पढ़ना एक पारंपरिक तरीका है, कुछ विद्वान बॉलीवुड फिल्में देखने, समाचार पत्र पढ़ने, न्यूज़-रूम स्टूडियो में बहस देखकर, अपने […]

आप इसे भी पितृसत्ता कैसे कह सकते हैं…?

जूपाका सुभद्रा (Joopaka Subadra) जूपाका सुभद्रा की बातचीत का यह दूसरा भाग है जो उन्होंने भारत नास्तिका समाजम और साइंटिफिक स्टूडेंट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित एक बातचीत में रखा था. — सवर्ण महिलाओं का कहना है कि वे अपने घरों में अपने बच्चों की गंदगी साफ करती हैं. फिर इन महिलाओं के बारे में क्या जो अपने घरों के बाहर सभी […]

ऑनलाईन शिक्षण-प्रणालीः वर्तमान चुनौतियाँ और ग्रामीण एवं दलित छात्रों का हाशियाकरण

दीपक कुमार (Deepak Kumar), ज्योति दिवाकर (Jyoti Diwakar) वर्तमान में भारत समेत, विश्व के 195 देश कोविड– 19 (कोरोना वायरस) से प्रभावित है. इस महामारी में लोग सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं. इसके साथ ही भारत की शिक्षा-व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है. इस महामारी वजह से सरकार नई शिक्षा नीति– 2019 के तहत ऑनलाईन […]