डॉ. अयाज़ अहमद (Dr. Ayaz Ahmad) सालों बाद कल तब्लीग़ी जमात के दो सिपाहियों से एक बार फिर आमना सामना हो ही गया. हुआ यूँ की शाम के वक़्त सोसाइटी पार्किंग के पास एक पड़ोसी से पार्किंग झमेलों पे बात चल रही थी. तभी चार जमाती सिपाही दो बाइक्स से पार्किंग के पास उतरे. उनकी नज़र हमारे पड़ोसी पे शायद […]
अर्ध सत्य और समानांतर सिनेमा के आधे-अधूरे सत्य
राहुल गायकवाड (Rahul Gaikwad) तो उस दिन, मैं बस यही सोच रहा था कि इस समाज में भ्रष्टाचार विरोधी भाषणबाजी कैसे और कब से चलन में आई। मुख्यधारा के मीडिया द्वारा समर्थित अन्ना हजारे और केजरीवाल की जोड़ी के नेतृत्व में ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन अभियान’ के दौरान हमने इसे बदसूरती के पूर्ण चरम पर देखा। अचानक, मुझे फिल्म ‘अर्ध सत्य’ […]
मैंने पसमांदा कार्यकर्ता बनने का फैसला क्यों किया
रज़ाउल हक़ अंसारी (Razaul Haq Ansari) शुरुआत करने के लिए, मैं अपने बारे में कुछ कहना चाहता हूँ. मैं झारखंड के देवघर से रज़ाउल हक़ अंसारी हूँ जो कि एक जुलाहा (बुनकर) जाति के एक मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुआ. मैंने ग्रेटर नोएडा (एनसीआर) के एक निजी विश्वविद्यालय से प्रौद्योगिकी स्नातक (Bachelor of Technology) की पढ़ाई पूरी की है. […]
संतराम बी.ए. का सामाजिक आन्दोलन
डॉ. बाल गंगाधर बाग़ी (Dr. Bal Gangadhar Baghi) बाबा साहब “जातिभेद का विनाश” जैसा लेख जिसके निमंत्रण पर लिखे थे उस मशहूर हस्ती का नाम सन्तराम बी.ए. था जिनका जन्म प्रजापति कुम्हार जाति में 14-02-1887 में हुआ था और मृत्यु 31-05-1988 को हुई. संतराम बी.ए. का जन्म बसी नामक गांव होशियारपुर, पंजाब में हुआ था. इनके पिता का नाम रामदास […]
उत्तर प्रदेश में लोकतान्त्रीकरण की प्रक्रिया में बहुजन समाज पार्टी का योगदान
जातीय वर्चस्व और लोकतंत्र विनोद कुमार (Vinod Kumar) उत्तर प्रदेश सामाजिक रूप से एक ऐसा राज्य है जहाँ सामंतवाद, और सवर्ण वर्चस्व का बोलबाला है. एक तरफ जहाँ राज्य के संसाधनों (जमीन, व्यवसाय, उद्योग) पर इन्ही सामंती जातियों का कब्ज़ा है तो दूसरी तरफ एक बहुसंख्यक बहुजन समाज मात्र श्रमिक बने रहकर ही सदियों से अपनी आजीविका चलाता आया है. […]
हिन्दू राष्ट्रवाद सदी का सबसे बड़ा झूठ
के.सी. सुलेख (K. C. Sulekh) राष्ट्रवाद उस सामूहिक जज्बात का नाम है जो एक देश/इलाके के निवासियों को अपने साझे हितों की सुरक्षा के लिए जोड़कर रखता है. अलग अलग देशों में रहने वाले लोगों के स्थानीय हालातों के मुताबिक धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और सुरक्षात्मक हित अलग अलग हो सकते हैं जो कई बार आपसी झगड़ों और, यहाँ तक […]
फेडरल सिस्टम वेंटीलेटर पर है
निखिल कुमार (Nikhil Kumar) तकनीकी रूप से भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है जिसे अंग्रेजों से आज़ाद करवाने के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया है. वे लोग अलग अलग क्षेत्रों से और विविध पृष्ठभूमियों से थे. विरोध की कई अलग अलग धाराएं बह रही थीं. सभी धाराओं में भले ही गोरों के बस्तिवाद का विरोध था लेकिन […]
वर्ष 2021 मान्यवर के बहुजन आंदोलन के लिए बेहद अहम
सतविंदर मनख (Satvinder Manakh) 15 मार्च 2021 को साहेब कांशी राम का 87वां जन्मदिन, “बहुजन समाज दिवस” के तौर पर भारत समेत पूरी दुनिया में बहुजन समाज की तरफ से मनाया जाएगा. 2022 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के मद्देनजर यह साल, उनके द्वारा शुरू किए गए बहुजन आंदोलन के लिए एक बहुत ही अहम साल है. साहेब कांशी […]
इसके या उसके ही नहीं, ‘कबीर’ सबके हैं
शैली किरण (Shelly Kiran) सुकरात ने एक बार कड़े स्वर में पूछा था- आप किस तरह मुझसे इस नगर के लिए उपचार की उम्मीद रखते हैं? क्या मुझे एंथेन वासियों से तब तक लड़ना चाहिए जब तक वे सुधर न जायें जैसे कि किसी चिकत्सक ने उन्हें सुधारा हो या फिर मैं उनका सेवक बन जाऊँ और उनका मनोरंजन करूँ? […]
मेनलैंड वाले नस्लवादी भारतीय कोविड से अधिक भयानक थे
चोन्थम रामेश्वरी (Chongtham Rameshwori) मेरे फ़ोन में रात के 9:21 का समय दर्ज है जिसमें मेरी पसंदीदा टीशर्ट की पहली फोटो है, जो दरअसल, एक अभागी टीशर्ट है. इसपर अब, गले और सीने के हिस्से पर, तंबाकू वाले पान के थूक की परत जम गई है जिससे एक तीखी गंध आ रही है. 22 मार्च 2020 को, रात 9 बजे […]