इस्लामी आतंकवाद और पसमांदा मुसलमान

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) लाल बहादुर वर्मा लिखते हैं, आतंक से आतंकवाद का सफर लम्बा है. आदिकाल से मनुष्य आतंकित होता आ रहा है और आतंकित करता आ रहा है. मनुष्यों ने अपनी सत्ता को लेकर जो भी संस्था बनाई उसमे अक्सर आतंक को एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया. धर्म में ईश्वर का आतंक, परिवार में पितृसत्ता का […]

मान्यवर के जेल भरो आंदोलन की 37वी वर्षगांठ और मंडल कमीशन की सिफारिशें

(प्रोफेसर विवेक कुमार) Professor Vivek Kumar आज बहुजन समाज पार्टी द्वारा मंडल कमीशन में  पिछड़ी जातियों के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान हेतु की गई सिफारिशों को लागू करवाने हेतु जेल भरो आंदोलन की 37वी  वर्षगांठ है. 37 वर्ष पहले 1 से 14 अगस्त, 1984, के दौरान बहुजन समाज पार्टी ने मंडल कमीशन लागू कराने हेतु जेल भरो आंदोलन हेतु संसद […]

भारतीय इतिहास के अलौलिक महामानव महात्मा ज्योतिबा फुले

Surya Bali

डॉ सूर्या बाली ‘सूरज धुर्वे’ (Dr. Surya Bali ‘Suraj Dhurve) ज्योतिराव गोविंदराव फुले एक महान विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी व्यक्ति थे. आपको ‘महात्मा फुले’ एवं ‘ज्‍योतिबा फुले’ के नाम से भी जाना जाता है. आपका जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे जिले के खानवाडी नमक स्थान में हुआ था. इनके पिता का नाम गोविंद राव फुले और माता […]

भारत में “विश्व के इंडीजेनस लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ को आयोजित करने और मनाने के सही मायने

आज अंतर्राष्ट्रीय इंडीजेनस दिवस पर विशेष  डॉ सूर्या बाली “सूरज धुर्वे”  इंडीजेनस लोग विशिष्ट संस्कृति वाले ऐसे मानव समूह हैं जो पृथ्वी के सबसे पहले ज्ञात निवासियों में से हैं. पूरी दुनिया में इंडीजेनस समूह अपनी आरंभिक जीवन शैली, प्राचीन परंपरा और संस्कृति को अपनाए रहते हैं और किसी दिए गए विशेष क्षेत्र से जुड़े होते हैं. समान्यतया इंडीजेनस लोगों […]

सारपट्टा परंबराई- सवर्ण परंपरा पर एक मुक्का

जेएस विनय (JS Vinay) “अत्त दीपो भव:– अपना दीपक खुद बनो” ~ बुद्ध “आपको अपनी गुलामी खुद ही खत्म करनी होगी. इसके उन्मूलन के लिए भगवान या सुपरमैन पर निर्भर न रहें। याद रखें कि यह पर्याप्त नहीं है कि लोग संख्यात्मक रूप से बहुमत में हैं. सफलता प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए उन्हें हमेशा सतर्क, मजबूत और स्वाभिमानी […]

बुद्धिज़म में लैंगिकता की परिभाषा

डॉ. अमृतपाल कौर (Dr. Amritpal Kaur) मनुष्य में यौन भावनाओं की क्षमता को लैंगिकता (Sexuality) का नाम दिया गया है. लैंगिकता को विचारों, कल्पनाओं, अरमानों, विश्वासों, रवैयौं, मूल्यों, व्यवहारों, आचरणों अथवा संबंधों के माध्यम से अनुभव और व्यक्त किया जाता है. सामंजस्यपूर्ण समाजिक और पारस्परिक संबंधों के निर्माण के लिए लैंगिकता का एक साकारात्मक अथवा रचनात्मक ढंग से विकसित होना […]

एक बौद्ध पीढ़ी को तैयार करना

चंचल कुमार (Chanchal Kumar) जब हम बड़े हो रहे थे इस दौरान हमारे माता-पिता ने जाति पर किसी भी स्पष्ट चर्चा से हमें बचा लिया, शायद यह मानते हुए कि अगर इस दानव के बारे में बात ही न की जाए तो इसका अस्तित्व खुद ही समाप्त हो जाएगा. इसे देखने का एक और तरीका यह हो सकता है कि […]

संगठनात्मक-नेतृत्व के सिवा कोई करिश्मा दलित-राजनीति के किसी काम का नहीं

राहुल सोंनपिंपले (Rahul Sonpimple) करिश्मा मायावी दुनिया का शब्द है लेकिन नेतृत्व को परिभाषित करने के लिए यह शब्द आम इस्तेमाल होता है. करिश्माई नेतृत्व को आमतौर पर आवश्यक और सहमति के रूप में लिया जाता है, खासकर राजनीति में. हालांकि, करिश्माई नेतृत्व का इतिहास इस तरह के रोमांसवाद को जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकता है. हिटलर के […]

भारत सरकार को चाहिए कि एक लाख एससी-एसटी युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजे

अंशुल कुमार (Anshul Kumar) महल के शिखर पर बैठे पुरुष “तो , मैं एक दिन लिनलिथगो के पास गया और शिक्षा पर होने वाले खर्च के बारे में कहा, “यदि आप क्रोधित न हों तो मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। मैं पचास [हाई स्कूल] स्नातकों के बराबर हूँ, है ना?” उसे (लिनलिथगो को) इसके लिए राजी होना पड़ा। फिर […]

जाति, और भारतीय कानूनी व्यवस्था की विफलता

रचना गौतम (Rachna Gautam) प्रत्येक सभ्य समाज में समाज के समुचित शासन के लिए कानून की अनिवार्य आवश्यकता होती है. मनुष्य होने के कारण लोग तर्कसंगत होते हैं और उस दिशा में आगे बढ़ते हैं जो उनके हित को सर्वोत्तम रूप से पूरा कर सके, और विभिन्न रुचियों वाले कई लोगों की एक साथ उपस्थिति के कारण हो सकता है […]