संजय जोठे (Sanjay Jothe) बुद्धिजीवी किसी “एक समुदाय से” जरुर हो सकता है लेकिन किसी “एक समुदाय का” नहीं होता. भारत जैसे असभ्य समाज में बुद्धि और बुद्धिजीवियों का अपमान करना और उन्हें सताना एक लंबी परम्परा है. यह बेशर्म परम्परा एक अखंड जोत की तरह जलती आई है, इसके धुवें और जहर ने देश समाज की आँखों को अंधा […]