लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) गालियाँ लगभग हर भाषा हर ज़ुबान में मौजूद है. तो क्या गालियाँ भाषा की सामाजिकता का अनिवार्य हिस्सा है? शायद हाँ! भाषा की सामाजिकता उसको बोलने वालों के बीच के अंतर्संबंधों को ज़ाहिर करती है और गालियों का जातिये एंव लैंगिक चरित्र की भी व्याख्या भी करती है. इसीलिए जब अनुराग कश्यप से पूछा गया कि […]
बुद्धि, बुद्धिजीवियों का अपमान भारत की परंपरा रही है
संजय जोठे (Sanjay Jothe) बुद्धिजीवी किसी “एक समुदाय से” जरुर हो सकता है लेकिन किसी “एक समुदाय का” नहीं होता. भारत जैसे असभ्य समाज में बुद्धि और बुद्धिजीवियों का अपमान करना और उन्हें सताना एक लंबी परम्परा है. यह बेशर्म परम्परा एक अखंड जोत की तरह जलती आई है, इसके धुवें और जहर ने देश समाज की आँखों को अंधा […]
हम लोगों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है और पाने के लिए पूरी दुनिया है।
दीपाली तायडे वैसे तो लड़कियों के इनबॉक्स में रोज़ तमाम तरह के मैसेज आतें हैं, पर बीते दिनों कुछ लड़कियों के जो मैसेज आए उन्होनें मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया। पहाड़ों पर घुमक्कड़ी की कई फ़ोटो के अपलोड के दौरान बहुत से कॉमेंट और मैसेज मिले, लेकिन मेरी लड़की दोस्तों ने जो लिखा वो लगभग कई बहुजन लड़कियों […]