
आजकल दलित-बहुजन लोगों में ‘फुले’ मूवी को देखने की बड़ी होड़ है। सवर्णों और अंधभक्तों की तरह इनको भी लगने लगा है कि अब किताबों को छोड़कर सारा का सारा इतिहास हम भी फिल्मों से ही ले लेंगे। कश्मीर फाइल्स, केरल फाइल्स और छावा जैसी फिल्में बनती हैं तब वे फिल्में प्रोपेगेंडा लगती हैं और, दूसरी ओर, जब फुले जैसी […]