दास्तान-ए-भेद भाव

प्रो० अहमद सज्जाद बात आज़ादी से पहले की है। जब मुस्लिम कांफ्रेंस द्वारा आयोजित (15-16 नवंबर 1930 ई०) अधिवेशन में उसने उस वक़्त की सभी बड़े छोटे मुस्लिम संगठनो को आमन्त्रित किया गया था। मुस्लिम कांफ्रेंस और उसके अध्यक्ष बैरिस्टर नवाब मुहम्मद इस्माईल खाँन का ये उद्देश्य था कि सारे मुस्लिम संगठनो को एक मंच पे लाया जाया। इस अवसर […]

आरक्षण दिवस की लड़ाई सतत जारी रहेगी – 26 जुलाई पर विशेष

Suraj Kumar Bauddh

सूरज कुमार बौद्ध  (Suraj Kumar Bauddh)   आरक्षण दिवस: एक झलक आज 26 जुलाई है। 26 जुलाई यानी कि आरक्षण दिवस। आज से 115 साल पहले 26 जुलाई 1902 में कोल्हापुर नरेश छत्रपति साहू जी महाराज द्वारा पहली बार आधिकारिक शासनादेश के रूप में शुद्रो तथाअति शूद्रों सहित सभी गैर ब्राह्मणों के लिए 50 फ़ीसदी आरक्षण का ऐलान किया गया था। […]

…ताकि चुनाव प्रिक्रिया खेल बन के न रह जाये

Suraj Kumar Bauddh

  सूरज कुमार बौद्ध (Suraj Kumar Bauddh) राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। श्री रामनाथ कोविंद जी भारत के अगले राष्ट्रपति भी बन चुके हैं। मैं कुछ आगे लिखूं इससे पहले श्री रामनाथ कोविंद को भारत के राष्ट्रपति चुने जाने पर मेरा हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं। – राष्ट्रपति चुनाव एवं बैलेट पेपर का इस्तेमाल राष्ट्रपति चुनाव में जनप्रतिनिधियों द्वारा […]

साम्प्रदायिकता और पसमांदा सवाल

Lenin Maududi

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) हम सबको ये समझने का वक्त आ गया है कि हर समाज के केंद्र में इसकी राजनीति होती है. अगर राजनीति घटिया दर्जे की होगी तो सामाजिक हालात के बढ़िया होने की उम्मीद करना बेमानी है. भारत में सेक्युलर योद्धा दावा कर रहे हो हैं कि वे फासीवाद से लड़ रहे हैं इसलिए ये हर उस […]

साम्प्रदायिक दंगे – भ्रमित मुस्लिम

Kanshi Ram Saheb

  कांशी राम (Kanshi Ram) [नोट: कांशी राम साहेब ने प्रस्तुत सम्पादकीय लेख, दि ओप्रेस्ड इण्डियन (जुलाई, 1979) के लिए लिखा था. राउंड टेबल इंडिया धन्यवाद् करता है अनुवादक विजेंद्र सिंह विक्रम जी का जिन्होंने प्रस्तुत लेख को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया; और ए.आर.अकेला जी का जिन्होंने साहेब कांशी राम जी के सम्पादकीय लेखों को किताब की शक्ल दी.] दंगे – एक […]

मेरी कविता कड़वी कविता

Shailendra Ranga

  शैलेन्द्र रंगा (Shailender Ranga)   मेरी कविता कड़वी कविता  वो बात करे अधिकार की तेरी कविता मीठी कविता उसे आदत है सत्कार की    दर्द क्यों न हो  सदियों की है पीड़ा ये  हर वक़्त दिखाई देता  बस मनोरंजन और बस क्रीड़ा तुम क्यूँकर कहते धिक्कार की?

भीड़तंत्र, सांप्रदायिकता के खिलाफ मऊ में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन

Lenin Maududi

लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) भीड़तंत्र और सांप्रदायिकता के खिलाफ मऊ नागरिक मंच और टीम डेमोक्रेसी(DEMOcracy) की ओर से एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। यह विरोध प्रदर्शन हर तरह की भीड़ के खिलाफ था जो खुद को कानून-व्यवस्था से ऊपर समझती है । इस विरोध प्रदर्शन में इस बात को रेखांकित किया गया है कि भीड़तंत्र लोकतंत्र के लिये […]

दलितों पिछड़ों को अपना दीपक स्वयंम बनना है

Sanjay Jothe1

  संजय जोठे धर्म, इश्वर और आलौकिक की गुलामी एक लाइलाज बिमारी है. भारत में इसे ठीक से देखा जा सकता है. कर्मकांडी, पाखंडी और अपनी सत्ता को बनाये रखने वाले लोग ऐसी गुलामी करते हैं ये, बात हम सभी जानते हैं. लेकिन एक और मज़ेदार चीज़ है तथाकथित मुक्तिकामी और क्रांतिकारी भी यही काम करते हैं. इस विषचक्र से […]

प्रिय लोकतंत्र बता अपनी भूख को हम कैसे मिटायें ?

sachin mali

जनकवि सचिन माली प्रिय लोकतंत्र बता  अपनी भूख को हम कैसे मिटायें ? भूख से बिलबिलाते एड़ियां घिसकर मरते लोगों का आक्रोश खाएँ ? या उनकी अंतिम विधि के लिए सूद से लिया कर्ज़ खाएँ ? आत्महत्या करने वाले किसानों की पेड़ों से टंगी लाशों का फ़ांस खाएँ ? या आत्महत्या करने के बाद मिलने वाला सरकारी पैकेज खाएँ ? […]

प्रथम पसमांदा आंदोलन के जनक एवं स्वतंत्रा सेनानी, मौलाना अली हुसैन ‘असीम बिहारी’

Faiyaz Ahmad Fyzie

  फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie)   जन्म: 15 अप्रैल 1890 मृत्यु: 6 दिसम्बर 1953 मौलाना अली हुसैन “असीम बिहारी” का जन्म 15 अप्रैल 1890 को मोहल्ला खास गंज, बिहार शरीफ, जिला नालंदा, बिहार में एक दीनदार (धार्मिक) गरीब पसमांदा बुनकर परिवार में हुआ था। 1906, में 16 वर्ष की अल्प आयु में उषा कंपनी कोलकाता में नौकरी करना […]