सूरज कुमार बौद्ध (Suraj Kumar Bauddh) राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। श्री रामनाथ कोविंद जी भारत के अगले राष्ट्रपति भी बन चुके हैं। मैं कुछ आगे लिखूं इससे पहले श्री रामनाथ कोविंद को भारत के राष्ट्रपति चुने जाने पर मेरा हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं। – राष्ट्रपति चुनाव एवं बैलेट पेपर का इस्तेमाल राष्ट्रपति चुनाव में जनप्रतिनिधियों द्वारा […]
साम्प्रदायिकता और पसमांदा सवाल
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) हम सबको ये समझने का वक्त आ गया है कि हर समाज के केंद्र में इसकी राजनीति होती है. अगर राजनीति घटिया दर्जे की होगी तो सामाजिक हालात के बढ़िया होने की उम्मीद करना बेमानी है. भारत में सेक्युलर योद्धा दावा कर रहे हो हैं कि वे फासीवाद से लड़ रहे हैं इसलिए ये हर उस […]
साम्प्रदायिक दंगे – भ्रमित मुस्लिम
कांशी राम (Kanshi Ram) [नोट: कांशी राम साहेब ने प्रस्तुत सम्पादकीय लेख, दि ओप्रेस्ड इण्डियन (जुलाई, 1979) के लिए लिखा था. राउंड टेबल इंडिया धन्यवाद् करता है अनुवादक विजेंद्र सिंह विक्रम जी का जिन्होंने प्रस्तुत लेख को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया; और ए.आर.अकेला जी का जिन्होंने साहेब कांशी राम जी के सम्पादकीय लेखों को किताब की शक्ल दी.] दंगे – एक […]
मेरी कविता कड़वी कविता
शैलेन्द्र रंगा (Shailender Ranga) मेरी कविता कड़वी कविता वो बात करे अधिकार की तेरी कविता मीठी कविता उसे आदत है सत्कार की दर्द क्यों न हो सदियों की है पीड़ा ये हर वक़्त दिखाई देता बस मनोरंजन और बस क्रीड़ा तुम क्यूँकर कहते धिक्कार की?
भीड़तंत्र, सांप्रदायिकता के खिलाफ मऊ में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) भीड़तंत्र और सांप्रदायिकता के खिलाफ मऊ नागरिक मंच और टीम डेमोक्रेसी(DEMOcracy) की ओर से एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। यह विरोध प्रदर्शन हर तरह की भीड़ के खिलाफ था जो खुद को कानून-व्यवस्था से ऊपर समझती है । इस विरोध प्रदर्शन में इस बात को रेखांकित किया गया है कि भीड़तंत्र लोकतंत्र के लिये […]
दलितों पिछड़ों को अपना दीपक स्वयंम बनना है
संजय जोठे धर्म, इश्वर और आलौकिक की गुलामी एक लाइलाज बिमारी है. भारत में इसे ठीक से देखा जा सकता है. कर्मकांडी, पाखंडी और अपनी सत्ता को बनाये रखने वाले लोग ऐसी गुलामी करते हैं ये, बात हम सभी जानते हैं. लेकिन एक और मज़ेदार चीज़ है तथाकथित मुक्तिकामी और क्रांतिकारी भी यही काम करते हैं. इस विषचक्र से […]
प्रिय लोकतंत्र बता अपनी भूख को हम कैसे मिटायें ?
जनकवि सचिन माली प्रिय लोकतंत्र बता अपनी भूख को हम कैसे मिटायें ? भूख से बिलबिलाते एड़ियां घिसकर मरते लोगों का आक्रोश खाएँ ? या उनकी अंतिम विधि के लिए सूद से लिया कर्ज़ खाएँ ? आत्महत्या करने वाले किसानों की पेड़ों से टंगी लाशों का फ़ांस खाएँ ? या आत्महत्या करने के बाद मिलने वाला सरकारी पैकेज खाएँ ? […]
प्रथम पसमांदा आंदोलन के जनक एवं स्वतंत्रा सेनानी, मौलाना अली हुसैन ‘असीम बिहारी’
फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) जन्म: 15 अप्रैल 1890 मृत्यु: 6 दिसम्बर 1953 मौलाना अली हुसैन “असीम बिहारी” का जन्म 15 अप्रैल 1890 को मोहल्ला खास गंज, बिहार शरीफ, जिला नालंदा, बिहार में एक दीनदार (धार्मिक) गरीब पसमांदा बुनकर परिवार में हुआ था। 1906, में 16 वर्ष की अल्प आयु में उषा कंपनी कोलकाता में नौकरी करना […]
मलिक ताहिर बाबा, मज़ार और बहुजनी नुक्ता
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) मेरे शहर के बारे में एक दंत कथा मशहूर है कि यहाँ पहले नट नाम के राक्षस का राज्य था। लोग उसके आतंक से बहुत परेशान थे। तत्कालीन हुक्मरा सैय्यद शालार मसूद गाजी ने बाबा मलिक ताहिर को यहाँ इस इलाके पर कब्जा करने के लिये भेजा था। बाबा ने नट को मार कर एक बोतल […]
गाय, ‘पिछड़ापन’ और ‘बहुजन’ महिलाएं
आशा सिंह (Asha Singh) बिहार के भोजपुर जिले में पड़ने वाले मेरे अहीर जाति–बहुल गाँव में सातवीं तक स्कूल है. इसके बाद जो पढ़ना-लिखना चाहते हैं उनका नाम दूसरे गाँवों या आरा टाउन के स्कूल में लिखवा दिया जाता है. लड़के तो स्कूल जाते हैं लेकिन लड़कियां साल में केवल दो बार, एक बार नाम लिखवाने के लिए और दूसरी बार परीक्षा देने […]