मौलिकराज श्रीमाली (Maulikraj Shrimali) नीली आग की लपटें ————————- तुम्हारे आंसू गैस के गोलों से हमारी आँखे जल रही है और जल रहे है जाति-धर्म के हिंसा में हमारे घर भूख से जल रहा है वो पेट जो इक्कीस दिन के बाद… चल के अपने घर को पहुंचा है और जल रहा है मेरी बहन का […]
कोरोना का ख़तरा और पसमांदा समाज की ज़मीनी हकीक़त
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) 10 गुणा 12 के 2-3 कमरों का एक छोटा सा घर. उस घर में दादा-दादी, मियां-बीवी और 3 बच्चे रहते हैं. मऊ के पसमांदा मुस्लिम घरों की आमतौर से यही संरचना होती है. इसका मतलब है कि एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों में कोरोना वायरस के वाहक़ (carriers) मौजूद हैं. पोते-पोतियों से घिरे रहने के […]
कब तक ढोते रहें मैला? और क्यूँ ढोयें??
धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam) कौन हैं ये सफाई कर्मचारी? सफाई कर्मचारी, मतलब वे लोग जो घरों में टॉयलेट/शौचालय साफ करने आते हैं, घरों से कूड़ा लेके जाते हैं, गली-सड़क पर झाड़ू लगाते हैं, और वो भी जो बड़े-बड़े कूड़े के ढेर से कूड़ा गाड़ी में भरकर ले जाते हैं। किसी भी आम इंसान को ये काम एक बहुत […]
COVID-19, सामाजिक दूरी: मिथकों के जलवे
इस्तिखार अली और लोचन (Istikhar Ali & Lochan) भारत एक मिथक प्रधान देश है. शादी ब्याह से लेकर बिमारियों तक में ये मिथक जाति प्रेरक मिथकों के प्रिज़्म से जब गुज़रते हैं जिससे देश की सही रंगत भी सामने आ जाती है. मिथक बिमारियों से भी घातक है. कोरोनावायरस (COVID-19) के चलते सामाजिक दूरी का भी यही फंडा है. भले […]
तो क्या इन सब को ऐसे ही मरने दिया जाए?
रूपाली जाधव (Rupali Jadhav) बड़े दिनों बाद आज घरवालों से बात हुई जिसमें सबसे करोना के ऊपर ही बात चली. मैंने घरवालों से हालचाल पूछा और पूछा कि बस्ती (पुना की एक बड़ी बस्ती जिसका नाम काशेवाडी है) में क्या चल रहा है? तब मां ने कहा कि हर कोई उदास बैठा है, हर किसी के मन में सवाल है […]
वैश्विक चुनौतियाँ और भारत मे प्रचलित सभ्यता व धर्म
संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) जब जिंदगी पर मौत का साया मंडरा रहा होता है, तभी जीवन और धर्म से जुड़ी असली सच्चाईयों की खोज करने की इच्छा जागती है। भारत में प्राचीन समय में गौतम बुद्ध के द्वारा दिए गए दर्शन को समझने का यही ठीक समय है। गौतम बुद्ध ने जिस प्रकार से प्रकृति और जीवन की […]
गौतम बुद्ध, जिद्दू कृष्णमूर्ति और युवाल नोवा हरारी को ध्यान से पढ़िए-सुनिए
संजय श्रमण जोठे (Sanjay Shraman Jothe) हमारे दौर मे युवाल नोवा हरारी अपनी किताबों मे इस बात को बहुत अच्छे से समझा चुके हैं कि इंसानियत के सामने वास्तविक खतरे कौन से होते हैं और इंसानियत उनसे बचने के लिए क्या क्या करती आई है। पिछले 70 सालों मे परमाणु हथियारों ने जो खतरा पैदा किया उसके नतीजे मे ग्लोबलाइज्ड […]
बात गोगोई से निकली है, तो यू.यू. ललित और ए.के. गोयल तलक जाएगी
विकास वर्मा (Vikas Verma) पूर्व मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई को कल राम मंदिर मुद्दे पर (निहायती घटिया) फैसला और राफेल मुद्दे पर नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने का ईनाम मिल गया। अक्सर इस तरह के ‘ईनाम’ अपने यहाँ ईमान बेचकर हासिल किए जाते हैं, इसकी एक और इबारत पूर्व मुख्य न्यायधीश ने लिख दी है। इतिहास गवाह रहा है […]
मिशन के रास्ते पर चलते हुए- मान्यवर कांशी राम
मिशन के रास्ते पर चलते हुए बेईज्ज़ती भी होगी, चोट भी लगेगी, ज़ख्म भी मिलेंगे और घुसपैठिये भी मिलेंगे, लेकिन आपको सावधान रहना होगा- साहेब कांशी राम पम्मी लालोमज़ारा (Pammi Lalomazara) उपरोक्त शब्द साहेब ने 14 अक्टूबर 1981 से लेकर 18 अक्टूबर 1981 तक चंडीगढ़ के 17 सेक्टर के परेड ग्राउंड में चले पांच दिन तक बामसेफ के तीसरे राष्ट्रिय […]
हकीकत बन रहा साहब कांशी राम का ‘बहुजन समाज’
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) 6000 से ज़्यादा जातियों में बटे हुए OBC, SC, ST और इनमें से धर्म परिवर्तित लोगों को एकजुट करने के लिए, जिस ‘बहुजन समाज’ की सोच साहब कांशी राम ने बनाई थी, अब वो हकीकत बनती जा रही है. देश की आबादी का 85% से भी ज़्यादा यह वर्ग – देर से ही सही, इस ज़रूरत […]