राउंड टेबल इंडिया बीते कुछ दिनों से सर सैयद के लेखों और उनकी स्पीचों को लेकर फेसबुक पर लगातार पसमांदा संगठन और बहुजन छात्र विरोध दर्ज करा रहे हैं. आरोप ये है कि सर सैयद अहमद खान ने अपनी किताब असबाब-ए-बगावतें हिन्द के पृष्ठ: 60 पर भारतीय मुसलमानों की एक जाति को बदज़ात जुलाहा लिखा था. इस बात से खासे […]
साहब कांशी राम का आन्दोलन- उनके जाने के बाद: एक समीक्षा
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) 9 अक्टूबर 2018 को उनके 12वे परिनिर्वाण दिवस पर विशेष 9 अक्टूबर 2006 को जब साहब कांशी राम जी की मौत की दुखद खबर पुरे देश और दुनिया में उनके चाहने वालों तक पहुँची, तो सभी के दिलो-दिमाग पर कई सवाल छा गए. बाबासाहब अम्बेडकर का कारवां जो, 6 दिसंबर 1956 को, उनके परिनिर्वाण के […]
फिरका बनाम जाति: असरदार कौन?
एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) मुस्लिम समाज में जिस तरह से जातियाँ और फिरके है वह किसी भी व्यक्ति से छिपे नही हैं, वह चाहे कोई मुस्लिम समाज का जानकार हो या अनभिज्ञ. किन्तु जहाँ मुस्लिम समाज/इस्लाम में मौजूद फिरकों की समस्या को मुस्लिम समाज में मौजूद सभी वर्ग (उच्च, मध्य, निम्न) खुले आम स्वीकार करते […]
जवाब कम सवाल ज्यादा खड़े करता है, पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अरविन्द कुमार (Arvind Kumar) पद्दोंन्नति में आरक्षण पर कल आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जवाब कम सवाल ज्यादा पैदा करता है, इसलिए आम लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि यह फैसला दलितों-आदिवासियों के हित में है, या फिर विरोध में। इस लेख में यह बताने की कोशिश की गई है कि यह फैसला क्या है, और […]
‘कहाँ है जातिवाद’ की रट बनाम मोहब्बत का क़त्ल
विकास वर्मा (Vikas Verma) हमारे और आपके प्यार में अंतर है, बहुत अंतर है। आप लोग प्यार करते हो तो आपकी शादी हो जाया करती है। हम लोग प्यार करते हैं, तो हमें मार तक दिया जाता है… आपके द्वारा. आप फिर भी चौड़े होकर कहते हैं- कहाँ है जातिवाद? दरअसल आप, बस ऐसा बोलकर (अपने खुद के, अपने परिवार […]
बाबा साहेब की ‘दलित’ शब्द को लेकर साफ़ राय
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) दलित शब्द के इस्तेमाल को लेकर पिछले काफी समय से विवाद बना हुआ है. भारत की अनुसूचित जातियों का बुद्धिजीवी वर्ग इस विषय पर बुरी तरह बट चुका है और इसके पक्ष और विपक्ष में अलग-अलग दलीलें दी जाती हैं. पिछले दिनों भारत सरकार की तरफ से एक आदेश जारी किया गया, जिसमें इसे इस्तेमाल […]
जाति आधारित गैरबराबरी में विश्वास- अवैज्ञानिकता, अनैतिकता और मूर्खता
धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam) जो इंसान ठगी और दूसरों को मूर्ख बनाने का रास्ता अपनाता है वह सिर्फ दूसरे ठगों द्वारा ही विकास पसंद कहा जाता है. अन्यथा जीवन में असली विकास वही इन्सान करता हैं जो वैज्ञानिक, नैतिक और तर्कसंगत बात करता है. वैज्ञानिक स्वभाव वाला इंसान दूसरों से भी वास्तविकता में विश्वास रखने तथा उसमें […]
कालूड़ी गांव जिला बाड़मेर के 70 दलित परिवार गांव छोड़ने को विवश
भट्टा राम (Bhatta Ram) बाड़मेर जिले (राजस्थान) के पुलिस थाना बालोतरा के अंतर्गत कालूड़ी गांव के मेघवाल जाति जो कि एक अनुसूचित जाति है, के 70 परिवारों को बहिष्कृत कर दिया गया है। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर कालूड़ी गांव के सवर्ण वर्ग के राजपुरोहितों ने दलितों को ढेढ़, नीच बोलकर पोस्ट लिखा था जिसके विरोध में रावता […]
भारत में उभर रही दलित-बहुजन क्रान्ति
संजय जोठे (Sanjay Jothe) भारत के दलितों-बहुजनों के खिलाफ जो अन्याय अत्याचार हुआ है, जो हो रहा है और जो आगे भी कुछ समय तक जारी रहेगा उसके लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उनमे बहुत हद तक बहुजनों के हितैषी भी जिम्मेदार हैं. यह एक विचित्र और कठोर वक्तव्य है. लेकिन अनुभव बतलाता है कि यह सच बात है. […]
‘मुल्क’ फिल्म, अशराफ/सवर्ण राजनीति और पसमांदा दृष्टिकोण
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) आतंक से आतंकवाद का सफर लम्बा है. आदिकाल से मनुष्य आतंकित होता आ रहा है और आतंकित करता आ रहा है. मनुष्यों ने अपनी सत्ता को लेकर जो भी संस्था बनाई उसमे अक्सर आतंक को एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया. धर्म में ईश्वर का आतंक, परिवार में पितृसत्ता का आतंक, राज्य में सर्वभौमिक्ता का आतंक […]