जय प्रकाश फ़ाकिर (Jay Prakash Faqir) मै DEMOcracy का एक बार फिर से शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने मुझे मौका दिया इस विषय पे बोलने के लिए. मै अपनी बात इकबाल के इस शेर से ही शुरू करना चाहता हूँ- यूँ तो सय्यद भी हो मिर्ज़ा भी हो अफ़्ग़ान भी हो तुम सभी कुछ हो बताओ मुसलमान भी हो? आप इस शेर […]
भोजपुरी भाषा-समाज और महिलाएं: लोकगीतों के अजायबघर के बाहर
आशा सिंह (Asha Singh) यह पर्चा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में 8-9 दिसंबर 2017 को CWDS द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप में पढ़ा गया था. मेरे वक्तव्य का विषय है, ‘भोजपुरी भाषा–समाज और महिलाएं: लोकगीतों के अजायबघर के बाहर’. सबसे पहले ये चर्चा करने की ज़रुरत है कि क्या ज़रुरत आ पड़ी कि आज हम हिंदी में स्त्री–चिन्तन करने के […]
स्त्री यौनिकता, नियंत्रण एवं भविष्य के खतरे
संजय जोठे (Sanjay Jothe) स्त्री यौनिकता पर सत्र था, मौक़ा था यूरोप, एशिया और अफ्रीका में परिवार व्यवस्था में आ रहे बदलाव पर एक कार्यशाला. यूरोप, खासकर सेन्ट्रल यूरोप में परिवार में बढ़ते आज़ादी के सेन्स और महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता के बीच एक सीधा संबंध है – डेवेलपमेंट स्टडीज़, मनोविज्ञान और सोशियोलोजी ने यह स्थापित कर दिया है. […]
पसमांदा मुस्लिमों के खिलाफ ज़हर उगलते थे सर सैयद
फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) इलाहबाद से निकलती मासिक पत्रिका ‘समकालीन जनमत’ के नवंबर 2017 अंक में छपा लेख “सर सैयद और धर्म निरपेक्षता” पढ़ा. पढ़ कर बहुत हैरानी हुई कि पत्रिका में सर सैयद जैसे सामंतवादी व्यक्ति का महिमा मंडन एक राष्ट्रवादी, देशभक्त, लोकतंत्र की आवाज़, हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक, इंसानियत के सच्चे अलंबरदार के रूप में […]
ओशो रजनीश के बुद्ध प्रेम का असली कारण और मकसद क्या है?
संजय जोठे (Sanjay Jothe) भारत के ईश्वर-आत्मावादी धर्मगुरु भारत के सबसे बड़े दुर्भाग्य रहे हैं, क्योंकि भारत का परलोकवादी और पुनर्जन्मवादी धर्म इंसानियत के लिए सबसे जहरीले षड्यंत्र की तरह बनाया गया है. हर दौर में जब समय के घमासान में बदलाव की मांग उठती है और परिस्थितियाँ करवट लेना चाह रही होती हैं तब कोई न कोई धूर्त […]
टाइगर मेमन, जमात और गुजरात
अयाज़ अहमद (Ayaz Ahmad) उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजे अभी आए ही थे. यूपी गुजरातमय हो गया था कि तभी अहमदाबाद में एक एजुकेशन फेयर का आयोजन हुआ. मुझे अपने विश्विद्यालय की तरफ से वहाँ जाने का आदेश मिला. मन में एक उत्सुकता सी जगी कि अच्छा मौका है उस राज्य को देखने का जहाँ से गुजरात मॉडल […]
भारत का भविष्य और आंबेडकर
संजय जोठे (Sanjay Jothe) हमारे समय में और खासकर आजादी के इतने सालों बाद जबकि राजनीतिक परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में बहुत सारा श्रम और समय लगाया जा चुका है, ऐसे समय में आंबेडकर को लेकर बात करना बहुत जरुरी और प्रासंगिक होता जा रहा है. गांधीवाद का सम्मोहन या तो टूट चुका है या वह अपना […]
छत्तीसगढ़, अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जातियों की भूमि
(मान्यवर कांशी राम जी का यह सम्पादकीय लेख उनके द्वारा सम्पादित अंग्रेजी में छपने वाली मासिक पत्रिका ‘दि ओप्रेस्ड इण्डियन’ के अंक फरवरी 1981 में छपा था. राउंड टेबल इंडिया आभारी है श्री विजेंद्र सिंह विक्रम जी का जिन्होंने लेख का अनुवाद किया है; और ए.आर. अकेला जी का जिन्होंने मान्यवर के सम्पादित लेखों को किताब की शक्ल दी.) […]
ज्योतिबा और डॉ. अंबेडकर में एक समानता और एक स्वाभाविक प्रवाह
संजय जोठे (Sanjay Jothe) ज्योतिबा फुले और अंबेडकर का जीवन और कर्तृत्व बहुत ही बारीकी से समझे जाने योग्य है. आज जिस तरह की परिस्थितियाँ हैं उनमे ये आवश्यकता और अधिक मुखर और बहुरंगी बन पडी है. दलित आन्दोलन या दलित अस्मिता को स्थापित करने के विचार में भी एक “क्रोनोलाजिकल” प्रवृत्ति है, समय के क्रम में उसमे एक […]
ज़कात और तथाकथित सैयद
एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) निःसन्देह इस्लाम में इबलीसवाद【1】के लिए कोई स्थान नहीं है किन्तु ये भी सत्य है कि कुछ लोगों द्वारा मुसलमानों में इबलीसवाद घुसड़ने व उसे इस्लाम का सिद्धांत सिद्ध करने का सदैव से प्रयास किया जाता रहा है जिसके लिए उनके द्वारा इस्लामी सिद्धान्तों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जाता रहा है […]