खालिद अनीस अंसारी (Khalid Anis Ansari) बसपा के पूर्व एमएलसी और नेता हाजी इकबाल, उनके भाई एमएलसी महमूद अली और दो बेटों को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 23 जुलाई को गैंगस्टर एक्ट के तहत निरुद्ध कर दिया एवं पुत्र जावेद अली को गिरफ्तार कर लिया. छेत्र के सभी लोग जानते हैं कि हाजी इकबाल कोई बाहुबली नेता […]
हमारा गंदगी से घिरा जीवन तुम्हारे चित्रों का विषय क्यों नहीं?
एक रिपोर्ट ऋषिकेश देवेंद्र खाकसे (Hrishikesh Devendra Khakse) विख्यात कवि, चित्रकार तथा शिल्पकार डॉ. सुनील अभिमान अवचार इनके ‘आउटकास्टेड एक्सप्रेशन’ नामक चित्रप्रदर्शनी मुम्बई स्थित ‘टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान’ में सम्पन्न ‘महिलाओं के सवेतन और अवैतनिक कार्य की बदलती रूपरेखा’ इस विषयपर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर दिनांक 12 एवं 13 जुलाई 2018 को सम्पन्न हुई. अपनी वैचारिक आयु के शुरुवाती […]
‘आनंदमठ’ उपन्यास, राजनीति और बहुजन
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) “पहले लोगों ने भीख मांगना शुरू किया, इसके बाद कौन भिक्षा देता है? उपवास शुरू हो गया। फिर जनता रोगाक्रांत होने लगी। गो, बैल, हल बेचे गए, बीज के लिए संचित अन्न खा गए, घर-बार बेचा, खेती-बाड़ी बेची। इसके बाद लोगों ने लड़कियां बेचना शुरू किया, फिर लड़के बेचे जाने लगे, इसके बाद गृहलक्षि्मयों का विक्रय […]
शैक्षणिक अधिकारों को हासिल करने के लिए आन्दोलन ही इक रास्ता
गुरिंदर आज़ाद राजेश कुमार आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के चेयरमैन रह चुके हैं और आजकल वे ‘एसोसिएशन ऑफ़ वालंटियर्स फॉर स्टूडेंट्स राइट्स‘ के कन्वीनर हैं जो कि एक स्वयंसेवी संस्था है और विशेषतः अनुसूचित जाति से जुड़े और विद्यार्थियों के स्कालरशिप से वाबस्ता अधिकारों पर काम कर रही है. इन समस्याओं को बेहतर तरीके से समझने एवं सुलझाने की […]
गुजरात के दलित खतरे में (1981)
कांशी राम (Kanshi Ram) गुजरात के जातिवादी हिन्दुओं द्वारा चलाये जा रहे आरक्षण विरोधी आन्दोलन ने अहमदाबाद, बड़ौदा, सूरत जामनगर तथा राज्य के अन्य बहुत से कस्बों तथा गाँवों में खतरनाक हालात पैदा कर दिए हैं. राज्य सरकार राज्य के सभी हिस्सों में कानून एवं व्यवस्था को सही तरह से बनाये रखने में बुरी तरह असफल हो गई है. स्थिति […]
मैं इसलिए हँस रहा हूँ क्यूंकि… – कांशी राम
पम्मी लालोमाजरा (Pammi Lalomajra) घटना 1992 की है. साहेब चंडीगढ़ माता राम धीमान के घर रुके हुए थे. धीमान वह इंसान थे जिसे साहेब साथ लेकर सुबह के चार चार बजे तक सुखना झील के किनारे बैठकर सियासत के नक़्शे बनाते रहते थे. उस रात भी रात के करीब 11-12 बजे होंगे.साहेब बैठे बैठे अचानक हँस पड़े. धीमान ने […]
मेरे लोगों का अधिकार ही मेरा स्वार्थ है: काला
डॉ. अशोक नामदेव पळवेकर मानव समाज यह अनेक स्थितियों से विकसित होता आया है. विकास की इन विभिन्न अवस्थाओं में मानव के ‘भू-स्वामित्व’ का इतिहास बहुत महत्वपूर्ण मायने रखता है. फिलहाल, पा. रंजित निर्देशित ‘काला’ फिल्म यह अनेकों के चर्चा का विषय है. फिल्म के शुरुवात में परदे पर जो विभिन्न पेंटिंग्स दिखाई देती हैं वे सभी मानव की […]
1968 का शिवपाल गंज, 2018 का गंगागंज और ऊँचों में नीच
विकास वर्मा (Vikas Verma) तीन महीने पहले श्रीलाल शुक्ल का कालजयी उपन्यास ‘राग दरबारी‘ पढ़ रहा था जो 1968 में प्रकाशित हुआ था। इसमें एक दृश्य है जहाँ उपन्यास के एक महत्वपूर्ण किरदार बद्री पहलवान रिक्शे से अपने गाँव यानी शिवपालगंज वापस लौट रहे हैं। रिक्शावाला ज़रा बातूनी है, पूरे रास्ते कोई न कोई कथा बांचे जा रहा है। अपनी […]
ओशो रजनीश पर बनी फिल्म व् बहुजनों के हित
संजय जोठे (Sanjay Jothe) ओशो रजनीश पर जो नयी डॉक्युमेंट्री आई है उसे गौर से देखिये. शीला एक नादान किशोरी की तरह रजनीश से मिलती है. शीला के पिता रजनीश से प्रभावित हैं. शीला को उनके पिता कहते हैं कि ये व्यक्ति अगर लंबा जी सका तो ये दुसरा बुद्ध साबित होगा. हर किशोरी लड़की की तरह शीला भी […]
ब्लैक पैंथर – समीक्षा
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) आमतौर से अफ्रीका के लोगो को गरीब-मज़लूम, बर्बर , असभ्य दिखाया जाता है. इस फ़िल्म ने कल्पना में ही सही पर इस मान्यता को तोड़ा है. ये फ़िल्म एक बड़े डिस्कोर्स पे बनी है कि “ज़ुल्म और ज़ालिम के खिलाफ आप की तटस्ता कितनी उचित है?“ इस फ़िल्म की कहानी अफ्रीका के पांच कबीलों की कहानी […]