यह अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल में राम मंदिर के लिए किन्नर अखाड़ा के आह्वान के जवाब में, भारतीय ट्रांस, इंटरसेक्स और जेंडर नॉन कन्फोर्मिंग (टी/आईएस/जीएनसी) व्यक्तियों और समूहों द्वारा जारी एक बयान है। इस बयान को किन्नर अखाड़ा के इस आह्वान पर पीड़ा, चिंता और निंदा की गहरी भावना के साथ जारी किया जा रहा है, क्यूंकि किन्नर अखाड़ा […]
“अश्वेत राष्ट्रवाद” से “बहुजन राष्ट्रवाद” तक
सतविंदर मदारा (Satvendar Madara) पिछली दो सदियों से भारत के कई हिस्सों में हज़ारों साल से चली आ रही ब्राह्मणवादी जाति व्यवस्था के खिलाफ जंग छिड़ी, जिसे पूर्वी भारत में हरिचंद-गुरुचंद ठाकुर, पश्चिमी भारत में फूले-शाहू-अम्बेडकर, उत्तर में बाबू मंगू राम, स्वामी अछूतानंद और दक्षिण में नारायणा गुरु और पेरियार रामास्वामी ने चलाया। अंग्रेज़ों के चले जाने के बाद सत्ता […]
मुस्लिम आरक्षण: पसमांदा के लिए होलोकास्ट जैसा
एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) तथाकथित मुस्लिम लीडरशिप द्वारा काफी समय से निरन्तर मुस्लिम आरक्षण की माँग की जाती रही है. इधर सच्चर आयोग की उस तथाकथित रिपोर्ट (मुस्लिमों की हालत दलितों से बदतर है) की आड़ लेकर (हालाँकि सच्चर ने ऐसा बिल्कुल नहीं कहा है) ये माँग और तेज कर दी गयी है. जब हम […]
मैं, मैला उठाने वाला, तुम्हारा वोट बैंक नहीं हूँ!!
धम्म दर्शन निगम (Dhamma Darshan Nigam) हाथ से मैला साफ़ करने वालो का जीवन जातिगत छुआछूत, महिलाओं पर अत्त्याचार, गन्दगी और अपमान से भरा हुआ है। जो खुद को “ताकतवर” समझने लगते हैं जब राजनेता उन्हें वोट बैंक के रूप में देखते हैं। लेकिन, मैला साफ़ करने वालों के जीवन, अभिलाषाओं, और उनके रहन-सहन को सही मायनों में समझे […]
उच्च शिक्षा में वैकल्पिक विमर्श के मायने
दीपक कुमार (Deepak Kumar) वर्तमान समय में जिस तरीके से प्रगतिशील विमर्श पर हमले किये जा रहे है, वह हमारे शैक्षणिक जगत में एक संवाद की संभावना को खत्म करने की कोशिश को प्रदर्शित करता है। वैसे तो हमेशा से ही शैक्षणिक जगत में एक खास तरीके की शिक्षा प्रद्धति का वर्चस्व रहा है, जो कहीं न कहीं प्राथमिक […]
गाय हिंसा के लाभार्थी कौन हैं?
जिस गौ हिंसा से लहुलहान हैं पसमांदा-बहुजन, उसी गौ आतंक का लाभार्थी है सय्यद-ब्राह्मण नाज़ खैर (Naaz Khair) अनुकूल जलवायु और स्थलाकृति (Topography) के कारण, पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन आदि क्षेत्रों ने भारत में प्रमुख सामाजिक-आर्थिक भूमिका निभाई है. इसके अलावा, पारंपरिक, सांस्कृतिक एवम् धार्मिक मान्यताओं ने भी इन गतिविधियों की निरंतरता में अपना योगदान दिया है. वैसे देखा […]
अशराफिया प्रोपगंडा: जिन्ना,लीग,पाकिस्तान और पसमांदा
एड0 नुरुलऐन ज़िया मोमिन (Adv. Nurulain Zia Momin) जबसे पसमांदा मूवमेन्ट से जुड़े कार्यकर्ताओं ने अपने सामाजिक अधिकारों के लिए आवाज़ बुलन्द करना शुरू की है तबसे ही पसमांदा आन्दोलन को दबाने व उससे जुड़े लोगों को हतोत्साहित करने के लिए तथाकथित अशराफों द्वारा निरन्तर नित नए निराधार आरोप पसमांदा आन्दोलन व उससे जुड़े लोगों पर लगाये जाते रहे […]
आप अपना पाला खुल के ही घोषित कर दीजिये अब!
सुरेश जोगेश (Suresh Jogesh) मीडिया विजिल, आज से तक़रीबन दो साल पहले जब मैं डेल्टा मेघवाल मामले में स्थानीय मीडिया की भूमिका पर लिख रहा था तब आपके संपर्क में आया था. मुझे अच्छा लगा जब आपने मेरी वाल से मेरा लेख कॉपी करके MediaVigil में जगह दी और यह भी कि आपने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी. लगातार दो […]
सर सैयद अहमद खान: रहनुमा, अपना रहनुमा न हुआ
लेनिन मौदूदी (Lenin Maududi) कल रात अलीगढ़ से मेरी एक बहन का कॉल आया. वह अलीगढ़ से पीएचडी कर रही है. वह मुझसे बहुत नाराज़ थी कि मै ‘सर सैयद अहमद खान’ के खिलाफ क्यों लिख रहा हूँ? मैंने स्पष्ट करते हुए अपना पक्ष रखा कि मैं विरोध नहीं कर रहा बल्कि वही लिख रहा हूँ जिसे सर सैयद ने […]
दुश्वार राहों से गुज़रता पसमांदा आंदोलन और उसकी मांगें
जज़्बाती सवालों से हटकर… शिक्षा, रोज़ी-रोटी और सत्ता में हिस्सेदारी की बात फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी (Faiyaz Ahmad Fyzie) पसमांदा फारसी का शब्द है जो आगे चलकर उर्दू भाषा का हिस्सा बना. इसका अर्थ है- जो पीछे रह गया है. पसमांदा शब्द मुस्लिम धर्मावलंबी आदिवासी, दलित और पिछड़े के लिए बोला जाता है. पसमांदा अन्दोलन का इतिहास बाबा कबीर से शुरू […]