एक हैंडबैग। एक नकली दाढ़ी । मायावती और हत्शेपसुत की मूर्तियों का हिस्सा बनने से ये दो मामूली सी लगने वाली चीज़े भी डरावने प्रतीकों में बदल जाती हैं। इन दो महिलाओं की मूर्तियों पर समाज में अभूतपूर्व मात्रा में क्रोध ज़ाहिर किया जा चुका है। क्या यह गुस्सा इन मूर्तियों की वजह से है , इन मूर्तियों में दर्शाया […]
आरक्षण के बारे में बात करना मैंने क्यों बंद कर दिया ?
तेजस हरड एक समय ऐसा था जब मैं आरक्षण का बहुत मुखर तौर पर प्रतिवाद करता था। मैं आरक्षण नीतियों के समर्थन में फेसबुक पर लिंक और स्टेटस अपडेट पोस्ट करता था और जो चर्चा शुरू होती थी उसमें बहुत उत्साह से भाग लेता था। जो मेरी पोस्ट और मेरे आरक्षण समर्थक रुख की निंदा करते थे, बेशक सवर्ण होते […]
किराये के घर की खोज में: छूआछूत और अपमान जो आज मैंने अनुभव किया
नागराज हेत्तुर मैं पिछले 15 दिनों से हसन क्षेत्र के सांतिनगर और हेमावती में किराये के लिए घर खोज रहा हूं। मुझे एक घर पसंद आया जो मेरी बेटी के स्कूल के पास था। जब मैंने फ़ोन किया ,मुझे अगले दिन मिलने के लिए बुलाया गया। मैंने मंजेगौड़ा, कर्नाटक साहित्य परिषत के हसन शाखा अध्यक्ष को सूचित किया जिसने मकान-मालिक […]
काली परतों वाली बहुत अच्छी सड़कें और खाक काली बस्ती…
अरविंद शेष (Arvind Shesh) बिहार की सड़कों के बारे में कुछ फैशनेबुल जुमले जब दिमाग में बैठे हों और आप किसी दूसरे राज्य की सड़कों से गुजर रहे हों तो यह बात एक ‘उम्मीद’ की तरह आसपास मंडराती रहती है कि कम से कम देहाती इलाकों में बिहार जैसी सड़कें जरूर देखने को मिल जाएंगी। लेकिन नौ मई की […]
हिंदी भाषा में राउंड टेबल इण्डिया का प्रारंभ
राउंड टेबल इण्डिया को हिंदी में प्रस्तुत करते हुए हमें बड़ा हर्ष हो रहा है | जाति-विरोधी अभिव्यक्तियाँ जो कि मुख्य रूप से दलित-बहुजन आदिवासी द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में होता है , उसमें से बहुत छोटा सा हिस्सा ही छनते-छनते अंग्रेजी भाषा के माध्यम से विचारों एवं गतिविधियों के अंतिम पड़ाव के रूप में प्रस्तुत हो पाता है […]
अपनी जाति से कुछ व्यक्तिगत सवाल
आशा सिंह (Asha Singh) मैं दलित नहीं हूँ लेकिन मैं एक ‘बेहतरीन जाति’ की भी नहीं हूँ इसका एहसास मुझे बचपन से ही था. मेरा बचपन (नब्बे का दशक) एक कोलियरी-टाउन सिंगरौली की चीप हाउसिंग कॉलोनी में बीता जहाँ मेरे पिता सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करते थे. बैरक-नुमा यह कॉलोनी सिंगरौली के आख़िरी छोर पर है, जिसे ‘नीचे कॉलोनी’ भी […]
हवा के खिलाफ यहां तक…
Manisha Mashaal हवा के खिलाफ यहां तक… मेरा नाम मनीषा मशाल है। मैं जमीनी स्तर की जाति-विरोधी कार्यकर्ता, वक्ता और गायक हूं और फिलहाल अखिल भारतीय दलित महिला अधिकार मंच के हरियाणा राज्य की संयोजक हूं। मैं हरियाणा के एक छोटे-से गांव से हूं। आज जहां मैं हूं, वहां पहुंचने के लिए एक दलित स्त्री होने के नाते मुझे बहुत […]
हम सबके लिए बाबासाहेब
Essay 2. ‘What Babasaheb Ambedkar Means to Me’ Ravindra Kumar Goliya आप सभी को बाबासाहब की १२५वीं जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं| आप सब से मैं पूछना चाहता हूँ कि हम बाबासाहब की जयंती क्यों मनाते हैं? क्या सिर्फ उन्हें याद करने के लिए? क्या सिर्फ यह याद कर लेने से काम चल जायेगा कि बाबासाहब ने हमारे लिए यह किया या […]
‘बाबासाहब अंबेडकर मेरे लिए क्या मायने रखते हैं ‘ शीर्षक पर लेख आमन्त्रित हैं
Round Table India बाबा साहिब के जीवन और उनकी उपलब्धियों को मनाने के लिए किसी ख़ास अवसर की ज़रूरत नहीं है, उनका उदय एक चेतना और जन-मानस के एक नैतिक लंगर के रूप में हुआ। एक संगीतमय परम्परा उनके जीवन के प्रतिपादन की जो उनके जन्म से शुरू होते हुए, महाड़ में अपना रूप लेते हुए, पूना पैक्ट, गोल मेज़ सम्मलेन, […]
बाबरी से दादरी तक
श्वेता यादव (Sweta Yadav) आज़ाद भारत जी हाँ आज़ाद भारत! सिर्फ आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश। लोकतंत्र का जश्न मानते हुए भारत के नागरिकों को लगभग 68 वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन आज भी कुछ सवाल जस का तस हमारे सामने मुह बाए खड़े है। समानता का अधिकार देता हमारा संविधान यह सुनिश्चित करता है […]